वाशिंगटन। आज से 30 साल पहले भारत से भागने वाले डॉन दाऊद इब्राहिम के पाकिस्तान स्थित आपराधिक डी- कंपनी ने कई देशों में अपने पैर पसार लिए हैं। वॉशिंगटन के जॉज मैसन यूनिवर्सिटी के सेचार स्कूल ऑफ पॉलिसी में प्रोफेसर डॉ. लुईस शेली ने अमेरिकी सांसदो को गुरुवार को बताया कि भारत से भागकर पाकिस्तान में बसे दाऊद इब्राहिम की डी-कंपनी अब कई देशों में सक्रिय हो गई है। दाऊद की ये कंपनी कई देशों के जरिए अपने नशे के कारोबार को संवारने में लगी हुई है। शेली का कहना है कि दाऊद की कंपनी शक्तिशाली संगठन के रूप में आगे बढ़ रही है और इसका जाल कई देशों में फैल चुका है, जोकि छूत की बीमारी की तरह बढ़ता ही जा रहा है।
अमेरिकी सांसदों को संबोधित करते हुए शेली ने आतंकवाद और अवैध वित्त पोषण पर सदन की वित्तीय सेवाओं संबंधी समिति द्वारा आयोजित सुनवाई के दौरान कहा कि मैक्सिकों के नशीले पदार्थों के संगठनों की तरह डी-कंपनी का जाल अलग-अलग देशों में फैला है। वे हथियार, नकली डीवीडी की तस्करी करते हैं और हवाला संचालकों की व्यापक व्यवस्था के जरिए वित्तीय सेवाएं मुहैया कराते हैं। उन्होंने बताया की डी-कंपनी का मुखिया दाऊद इब्राहिम को भारत ने भगोड़ा करार दिया हुआ है। बता दें कि साल 1993 मुंबई ब्लास्ट को अंजाम देने वाला दाऊद इस समय पाकिस्तानी की आर्थिक राजधानी कराची में अपना घर बनाकर बैठा है।
अमेरिकी और भारतीय अधिकारियों ने यह दावा किया है। हालांकि पाकिस्तानी अधिकारी अपने देश में दाऊद के होने से इनकार करते रहे हैं। दाऊद के खिलाफ भारत के अभियान को अमेरिका ने आखिरकार 2003 में माना। उस समय अमेरिका के राजकोष विभाग ने दाऊद को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जिसके तार अल- कायदा से जुड़े हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भी उस पर प्रतिबंध लगा रखे हैं। पाकिस्तान पर दाऊद को शरण देने की भारत की बात की पुष्टि करते हुए उस समय राजकोष विभाग ने कहा था कि दाऊद कराची में है और उसके पास पाकिस्तानी पासपोर्ट है।