उत्तराखंड

अनोखा मां विध्यवासिनी बानड़ी देवी का मंदिर यहां मुराद पूरी होने पर जलाते हैं अखंड दिए

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Nirmal अनोखा मां विध्यवासिनी बानड़ी देवी का मंदिर यहां मुराद पूरी होने पर जलाते हैं अखंड दिए निर्मल उप्रेती, संवाददाता

अल्मोड़ा से 34 किलोमीटर की दूरी पर लमगड़ा में मां विंध्यवासिनी बानड़ी देवी का ऐसा अनोखा मंदिर है। जहां मुराद पूरी होने पर भक्तों को अखंड दिए नौ दिनों के लिए जलाने पड़ते हैं।

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इसके साथ ही मां की श्रद्धा के साथ नौ दिनों तक आराधना करनी पड़ती है। यह देश का ऐसा पहला मंदिर है, जहां इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु अखंड दिए जलाते हैं। इस मंदिर में नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं की सबसे अधिक भीड़ देखने को मिलती है।

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14वीं शताब्दी से यहां विराजमान हैं देवी

ऐसा कहा जाता है कि अल्मोड़ा की स्थापना 1563 में चंद राजा बालो कल्याण चंद ने की थी। उस समय वह मां बाराही देवी का विसर्जन करना भूल गए। उस समय देवी ने राजा से कहा कि उन्हें वहीं स्थापित रहने दिया जाए। यहां देवी भगवती पिंडी के तीन शक्ति रूप में वास करती हैं। उसी समय से मंदिर में स्थानीय लोग पूजा अर्चना के लिए आते हैं। जिस किसी की भी मनोकामना पूरी हो जाती है। वह मां के आगे अखंड दिए जलाते हैं। जिसकी वहां के पंडित नौ दिनों तक देखरेख भी करते हैं। इसके अलावा मां को प्रसन्न करने के लिए सुहागपिटारी भी यहां श्रद्धालु चढ़ाते हैं।

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इस मंदिर में पहुंचने के लिए सबसे पहले अल्मोड़ा पहुंचना होगा। हवाई मार्ग से अल्मोड़ा जाने के लिए पंतनगर हवाई अड्डे तक पहुंचना होगा। यहां से 127 किलोमीटर की दूरी पर अल्मोड़ा स्थित है। अल्मोड़ा पहुंचने पर प्राइवेट बस या टैक्सी की मदद से विकासखंड लमगड़ा तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। वहीं सड़क मार्ग से पहुंचने के लिए उत्तराखंड रोडवेज बस का सहारा लेना होगा। अगर आप दिल्ली की तरफ से आना चाहते हैं।

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तो आनंद विहार बस स्टैंड से अल्मोडा तक के लिए सीधी बस मिल जाएगी, जो 10 से 12 घंटे में अल्मोड़ा पहुंचा देगी। यह सफर लगभग 353 किलोमीटर का होगा। वहीं रेलमार्ग से अल्मोड़ा पहुंचने के लिए काठगोदाम रेलवे स्टेशन पहुंचना होगा। यहां से 90 किलोमीटर की दूरी पर अल्मोड़ा पडता है।

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