लखनऊ। “काम बोलता है” के नारे से चुनावी रण में उतरे अखिलेश यादव ने शनिवार को जनादेश मानते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि नए सीएम पद के पदभार संभालने तक वो गद्दी पर काबिज रहेंगे। साल 2012 में जहां समाजवादी पार्टी को जनता ने पूर्ण बहुमत से यूपी की सत्ता उनके हाथ में सौंपी थी तो वहीं इस बार उनकी पार्टी को 50 का आकड़ा अपने बल पर पाना मुश्किल दिखा और वो महज 47 सीटों पर ही सिमट कर रह गई हालांकि कांग्रेस को मिली सीटों को मिलाकर उनकी का ये आकड़ा 54 तक पहुंचा। इन चुनावी नतीजों को अभी 24 घंटे भी नहीं बीते है कि सपा कुनबे में एक दूसरे पर आरोप लगाने का सिलसिला जारी है।
सपा परिवार का सत्ता पर दोबारा काबिज ना होने का है इतिहास
जहां आज शिवपाल ने अखिलेश पल तंज कसते हुए इसे सपा की बड़ी जीत बताया तो वहीं उनने पिता और समाजवादी पार्टी के मार्गदर्शक मुलायम सिंह यादव ने भी अपने इस हार का ठींकरा कांग्रेस के सिर फोड़ा है। उन्होंने यूपी में सपा की करारी हार के बारे में मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगर गठबंधन नहीं होता तो एसपी की सरकार बनती क्योंकि कांग्रेस को कोई भी पसंद नहीं करता।
बता दें कि सपा और कांग्रेस के गठबंधन के मुलायम सिंह यादव हमेशा से ही विरोध में थे लेकिन अपने बेटे और सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश के सामने उनकी एक ना चली और दोनों का गठबंधन हुआ। हालांकि इस गठबंधन के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि मुलायम पार्टी के प्रचार में भी नहीं उतरेंगे लेकिन उन्होंने सभी कयासों को तोड़ते हुए चुनावी रण में कई बार अपनी बहु अपर्णा यादव के लिए वोट मांगते दिखे।