इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रीट में एक ऐतिहासिक फैसले लिया है। शिक्षा बनाम मेरठ विश्वविद्यालय और दूसरों के 16 संकल्प संस्थान नीचे अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों की व्याख्या रखी। अल्पसंख्यक मेरठ विश्वविद्यालय से संबद्ध संस्थानों में दाखिले के लिए 100% अपने स्वयं के संविधान के तहत अधिकार का आरोप लगाते हुए किया था। कानून के अनुसार विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक संस्थानों का केवल 50% छात्रों को अनुमति दी है और शेष 50% छात्रों अनदेखी राज्य कोटा बीएड परीक्षा 2015-17 सत्र और 2014-2016 सत्र में प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं थी।
विश्वविद्यालय के इस क्रम में उक्त रिट में चुनौती दी गई थी। अदालत के नीचे रखी है कि अल्पसंख्यक संस्थानों में कानून के अनुसार अपने स्वयं में केवल 50% छात्रों को स्वीकार करते हैं और बनी हुई है छात्रों को अवैध घोषित किया गया सकते हैं। अदालत ने छात्रों के कैरियर बर्बाद करने के लिए अल्पसंख्यक संस्थानों पर भारी जुर्माना भी लगाया गया है। वे छात्र विफलता प्रति 3 लाख रुपए का जुर्माना अदा करने का निर्देश दिया है 90 दिनों में ऐसा संस्थान की संबद्धता को रद्द करने के लिए ले जाएगा।