लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने मंगलवार को विविध संगठनों के संगठन मंत्रियों को संबोधित करते हुए कहा कि सभी संगठन एक दूसरे के पूरक बनकर कार्य करें।
उन्होंने कहा कि कार्य की दृष्टि से भले हम अलग- अलग हैं लेकिन वैचारिक रूप से हम सभी एक हैं,। इसलिए हम जहां भी रहें अपने मूल संकल्प को याद रखते हुए अपने संगठन का कार्य विस्तार करें। सरसंघचालक ने मंगलवार को संघ के सभी आनुषांगकि संगठनों के राष्ट्रीय संगठन मंत्री और सह संगठन मंत्रियों को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया।
सरसंघचालक ने कहा कि सभी अपने अपने-अपने संगठनों में अनुशासित एवं निष्ठावान कार्यकर्ताओं को अधिक से अधिक जोड़ने का प्रयास करें। संघ का ध्येय संपूर्ण समाज को संगठित करना है इसके लिए अपने कार्यों का विस्तार ग्रामीण क्षेत्रों में करें ताकि भविष्य में आने वाली चुनौतियों का हम सामना कर सकें। मोहन भागवत ने कहा कि अधिक से अधिक युवाओं को संगठन से जोडने के लिए योजना बनानी चाहिए।
संगठन के कार्यकर्ताओं की चिंता करें
आज समाज में संघ की स्वीकार्यता बढ़ी है। इसलिए हम अपने विचारों एवं कार्यों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचाएं। उन्होंने कहा कि संघ के प्रचारकों से अन्य लोग भी प्रेरणा लेते हैं इसलिए हमारा आचरण ठीक रहा तो संगठन के प्रति समाज की धारणा ठीक रहेगी। हमें चाहिए कि वह कार्यकर्ताओं के प्रति नम्र व्यवहार रखें और उनकी चिंता करें क्योंकि संगठन के कार्यकर्ता ही हमारी मूल पूंजी हैं।
सत्ता का उपयोग जनहित के लिए होना चाहिए
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि सत्ता का उपयोग जनहित के लिए होना चाहिए। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए उस पर विजय प्राप्त करने के लिए समाज का मनोबल बनाकर रखना होगा।
इन संगठनों के पदाधिकारी बैठक में रहे शामिल
विश्व हिन्दू परिषद,भारतीय जनता पार्टी,अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद,किसान संघ,मजदूर संघ, विद्याभारती, लघु उद्योग भारती,सहकार भारती,संस्कार भारती, संस्कृत भारती,आरोग्य भारती,अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत, विज्ञान भारती, राष्ट्र सेविका समिति,अखिल भारतीय शिक्षण मण्डल, वनवासी कल्याण आश्रम, स्वदेशी जागरण मंच, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, अखिल भारतीय साहित्य परिषद और प्रज्ञा प्रवाह के राष्टीय संगठन मंत्री और सह संगठन मंत्री शामिल रहे।