अलीगढ़। अपनी शालीनता के लिए पहचाने जाने वाले पत्रकार को दुनिया छोड़कर चले गये। निष्पक्ष पत्रकारिता करते समय उनकी कलम कभी नहीं डगमगाई, जो भी लिखा निर्भीकता से प्रकाशित किया। उन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन में न जाने कितने पत्रकारिता जगत के लोगों को समाजहित में लाने का कार्य किया पत्रकारिता का दुरुपयोग करने वालों और भ्रस्टाचारियो को नाक चने चबाने पर मजबूर अपनी लेखनी से ही कर दिया।
राजपूत पर आरोप- प्रत्यारोप से हृदय दुखाकर कोई खुशी का मार्ग नहीं देख पाया। उसी के साथ पत्रकारिता क्षेत्र को उन्होंने कभी धन अर्जित करने का कार्य नहीं समझा। यह बात सम्पूर्ण जनपद में प्रचलित है और वह अपने जीवन काल में साईकिल चलाकर गांव देहातों में भ्रमण कर खबरों का संकलन करते थे। बहुत से लोग उनको कलयुग के नारद जी के नाम से संबोधित करते थे, निरन्तर रूप से 30 वर्ष तक अपना स्वयं का अखबार प्रकाशित करना आज के समय में एक बड़ी चुनौती है, अखबार को प्रकाशित कराने में विज्ञापनदाता ही मदद करते थे, कभी घूसघोरी, रिश्वत लेना सीखा ही नहीं।
दो माह पूर्व अचानक शरीर के आधे हिस्से पर पैरालाइज की शिकायत हुई तो उनका उपचार कराया। जांच में डाॅक्टर ने कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी से ग्रस्त बताया अलीगढ़ के साथ-साथ दिल्ली, आगरा व अन्य जगह इलाज कराया, लेकिन सात अक्टूबर की रात लगभग 3 बजे श्री राजपूत निर्भीक पत्रकारिता का दीपक सदा के लिए भुज गया। उनके पत्रकार साथियों और परिवार को अत्यन्त दुख की घड़ी में नम आंखों के साथ छोड़कर चले गये। जनपद अलीगढ़ के सैंकड़ों पत्रकार उनकी अन्तिम यात्रा में शामिल हुए।
इस दौरान अन्तिम यात्रा में मान्यता प्राप्त पत्रकार मुकेश भारद्वाज, राजपाल आर्य, मुन्नालाल कश्यप, गौरव सिंह, मनोज अलीगढ़ी, प्रदीप मित्तल, सुशील तौमर, हेमन्त शर्मा,ठा. मुकेश सिंह, दिनेश चौधरी, मौ0 अकरम, प्रदीप चौधरी, रवि शर्मा, विनय माथुर, जाहर सिंह, श्रीपाल सिंह, चरनवीर सिंह, शिव कुमार, मुशीर अहमद, मौ0 राशिद, रूपकिशोर राजपूत, वकील अहमद, जे.पी. भारद्वाज, लोकेन्द्र राजपूत,, देवेन्द्र पाल सिंह आदि पत्रकार मौजूद रहे।