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सावधान! सोशल मीडिया पर संभल कर डालें पोस्ट, वरना भुगतने पड़ सकते हैं ऐसे परिणाम

एक साल में 1107 यूजर्स पर दर्ज हो चुके हैं मुकदमें, कई लोगों को भेजा जेल

लखनऊ: सोशल मीडिया पर लाखों यूजर्स के अकाउंट बने हैं। यूजर्स अपनी पोस्ट को अपलोड करने के साथ लोगों की पोस्ट को शेयर भी करते हैं। हालांकि, साइबर सेल यूनिट सोशल मीडिया पर निगरानी करने के साथ यूर्जस की सभी हरकतों पर नज़र बनाए हुए है। गलत पोस्ट डालने और उसे शेयर करने पर पुलिस आप पर भी एक्शन ले सकती है। तो वहीं सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल पर सरकार भी सख्त है। प्रिसिडेंट के लखनऊ-कानपुर दौरे पर एक महिला पत्रकार ने सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी की थी। इसके बाद आशियाना कोतवाली पुलिस ने महिला पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। फिलहाल एक साल में यूपी में सोशल मीडिया पर खुराफात करने वाले 1107 यूजर्स पर कार्रवाई की जा चुकी है।

ट्विटर पर की थी गलत टिप्पणी

दरअसल, जून के आखिर सप्ताह में प्रिसिडेंट रामनाथ कोविंद के लखनऊ-कानपुर दौरे पर एक महिला पत्रकार ने ट्वीटर पर उनकी फोटो को अपलोड कर अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया था। महिला पत्रकार ने अपने ट्वीटर हैंडल पर हैशटैग कर कहा था कि वक्त बदल गया, लेकिन गुलामी की मानसिकता आज भी नहीं बदली। गांव में दलितों को ठाकुर साहब के सामने ऐसे ही झुककर जाना होता है । सर्वोच्च पद पर बैठे आदमी को देख लो। असल में प्रिसिडेंट अपने पैतृक गांव परौंख पहुंचते ही भावुक हो गए थे। उस वक्त हेलिकॉप्टर से उतरते ही प्रिसिडेंट ने अपने गांव की माटी को मस्तक पर लगा लिया था। प्रिसिडेंट की यह फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगी। इसी तस्वीर पर महिला पत्रकार ने ट्विटर हैशटैग कर गलत टिप्पणी की थी। इसके बाद आशियान क्षेत्र की रहने वाली श्रद्धा श्रीवास्तव ने महिला पत्रकार के खिलाफ प्रिसिडेंट पर गलत टिप्पणी करने के आरोप में आशियाना थाने में केस दर्ज कराया है। इससे पहले भी गाजियाबाद जनपद में मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई के वीडियो ने सोशल मीडिया पर तुल पकड़ ली थी। इसमें तमाम यूजर्स का रि-एक्शन सोशल मीडिया पर दिखाई लेने लगा था। इसके बाद गाजियाबाद पुलिस ने 09 यूजर्स पर आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था।

पुलिस प्रशासन का एक्शन

एडीजी लॉ एंड आर्डर यूपी प्रशांत कुमार ने बताया कि यूपी में 01 जून 2020 से 31 मई 2021 तक सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने वाले 1107 यूजर्स पर मुकदमा दर्ज किया जा चुके हैं। इनमें 118 यूजर्स पर अफवाह फैलता, भ्रमित करना और फेक न्यूज शेयर करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। जबकि सांप्रदायिक फैलाने वाली पोस्ट पर 366 केस, आपत्तिजनक पोस्ट ऑडियो-वीडियो के आरोप में 623 यूजर्स पर कार्रवाई की जा चुकी है। बताया कि सोशल नेटवर्किंग पर यूजर्स को अपने विचार व्यक्त करने की आजादी उस सीमा तक है। जहां यूजर्स कानून का पालन करते है। इसके अलावा दूसरे को आहत या नुकसान नहीं पहुंचते हैं।

इससे गोपनीयता होती हैं भंग

एक्सपर्ट की मानें तो स्मार्टफोन चलाने वाले यूजर्स सोशल नेटवर्किंग के सभी प्लेटफार्म मसलन फेसबुक, व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम, ट्वीटर, टेलीग्राम, कू आदि जैसे एप्लीकेशन को गूगल-प्ले स्टोर से इंस्टाल से कर लेते हैं। उस वक्त वह यूजर्स किसी दूसरी एप्लीकेशन का डाटा साझा करने की अनुमति प्रदान नहीं करें। यदि आपने ऐसा किया तो फौरन प्राइवेसी आप्शन में आकर उसे बंद कर दें। इसके अलावा जीपीएस का इस्तेमाल जरुरत पड़ने पर ही करें, नहीं तो मोबाइल जीपीएस को बंद ही रखें। खासतौर पर एंड्रायड एप्लीकेशन में टेक्नीकल समस्याओं से गोपनीयता भंग होने का खतरा भी रहता है। इनके इस्तेमाल में पूरी जानकारी होना बेहद जरुरी है।

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