लखनऊ: कोरोना काल में साइबर अपराधियों का नेटवर्क इस कदर बढ़ चुका है। अब आम लोगों के जहन में ठगी का खौफ बढ़ने लगा है। तो वहीं जालसाज ठगी के नए-नए पैंतरे आजमा रहे हैं। अब जालसाजों ने सरकारी और प्राइवेट बैंक के क्रेडिट कार्ड और बीमा पॉलिसी धारकों को अपना टारगेट बनाया है। खासकर आप को सचेत रहने की जरूरत है । यदि आप किसी बैंक में क्रेडिट कार्ड और इंश्योरेंस कंपनी में बीमा पॉलिसी लेने का आवेदन करते है, तो आपको वहां पर महत्वपूर्व डिल्टेस देनी पड़ती है। मसलन आधार कार्ड, मार्कशीट, पैनकार्ड, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर तो अब यह डेटा आपका सुरक्षित नहीं हैं।
450 कस्टर्म को किया शिकार
दरअसल, जालसाल आधार कार्ड और मोबाइल नंबर के आधार पर एक फर्जी कॉल सेंटर संचालित करते हैं। इसके बाद उक्त नंबरों पर कॉलकर आम लोगों को निशाना बनाते हैं। इसलिए आप को हर पल सर्तक रहने की जरुरत है । साल 2019 में यूपी एसटीएफ ने नोएड़ा में एक गिरोह का पर्दाफाश कर गैंग लीडर नदीम और उसके साथी सिद्धार्थ और पुनीत लाखा को गिरफ्त में लिया था। एसटीएफ को आरोपितों के पास से इंश्योरेंस कंपनी से ग्राहकों का डेटा और हजारों क्रेडिट कार्ड धारकों की डिटेल्स मिली थी। उस वक्त जांच में पता चला कि गैंग लीडर सिर्फ 12वीं पास है। वह पहले किसी प्राइवेट बैंक में टीम लीटर के तौर पर काम करता था। इसकी उसकी मुलाकात ठगी करने वाले गिरोह से हुई। इसके बाद आरोपित ने कस्टर्म का डाटा चोरी कर इस पेशे में उतर गया है। एटीएफ को आरोपित के पास 7,182 क्रेडिट कार्ड धारकों का ब्यौरा मिला था। इंवेस्टिगेशन के दौरान पता चला कि इस गैंग ने करीब 450 लोगों के साथ करोड़ो की ठगी की है।
06 हजार कस्टर्म मिला डाटा
26 जनवरी को एसटीएफ ने ऑनलाइन करोड़ो की ठगी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया था। एटीएफ ने गैंग लीडर सौरभ भारद्वाज समेत आस मोहम्मद, लखन गुप्ता और शिवम गुप्ता को गिरफ्तार किया था। एटीएफ को आरोपितों के पास से छह हजार कस्टर्म की गोपनीय डिटेल्स मिली थी। हालांकि, कस्टर्म का डेटा चोरी करने वाला गैंग लीडर नदीम कई दिनों से पुलिस की आंख में धुल झोंककर फरारी काट रहा था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने नदीम पर बीस हजार रुपए क इनाम घोषित किया था। नदीम की गिरफ्तारी के बाद उसकी निशानदेही पर पुलिस ने सौरभ भारद्वाज के गैंग को दबोचा था।
लेडी डॉन को पकड़ा
08 फरवरी को एसटीएफ ने लेडी डॉन शिल्पी और उसके साथी को गिरफ्तार किया था। शिल्पी भी एक बड़े गिरोह को संचालित करती थी। गिरफ्तारी के दौरान शिल्पी के पास से सात हजार क्रेडिट कार्ड कस्टर्म की डिटेल्स मिली थी। शिल्पी के ऊपर पुलिस ने 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया था। नदीम की गिरफ्तारी के बाद कई गिरोह का खुलासा हुआ था। उन गिरोह में शिल्पी का भी नाम शामिल था।
इन तरीकों से करते हैं फर्जीवाड़ा
साइबर क्राइम एक्सपर्ट व आईपीएस अफसर रमेश भारतीय के मुताबिक, जालसाज बैंक के डेटाबेस और उससे जुड़े कॉल सेंटर की सूचनाओं में सेंधमारी करते हैं। तो वहीं कचरे में फेंक गए कार्डों से जुड़ी डिटेल्स को निकालने में भी शातिर होते हैं। बताया कि ट्रांजेक्शन के दौरान जालसाज कार्ड की मैग्नेटिक पट्टी को कॉपी कर क्लोन तैयार कर लेते हैं। सर्वर हैक कर कस्टर्म की ऑनलाइन डिटेल्स हासिल कर लेते हैं।
इस तरह से बचें
साइबर एक्सपर्ट ने बताया कि यदि कस्टर्म के पास क्रेडिट कार्ड है तो उसका लगातार स्टेटमेंट जांचते रहना चाहिए। बताया कि बड़े ट्रांजेक्शन पर बैंक कई बार कस्टर्म से कन्फरमेशन लेती है, लेकिन छोटे-मोटे लेन की सूचना मैसेज के माध्यम से कस्टर्म को मिलती है। कार्ड कंपनी की साइड पर रजिस्टर कर हर हफ्ते उसका ब्यौरा जरुर लें। समय-समय पर कार्ड का पिन नंबर जरुर बदल लें और उसे याद कर कर लें। इसके अलावा कस्टर्म को अपने मोबाइल पर अलर्ट की सुविधा एक्टिवेट करनी चाहिए। इससे कार्ड का ट्रांजेक्शन एसएमएस के जरिए मिलता रहेगा।