उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से अब किसी सदन के सदस्य नहीं रहेंगे। उनका विधान परिषद सदस्य का कार्यकाल शनिवार को समाप्त हो रहा है। आफको बता दें कि 17 साल बाद ऐसा पहली बार होगा जब अखिलेश किसी भी सदन के सदस्य नहीं रहेंगे। वहीं बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख मायावती भी इस समय किसी सदन की सदस्य नहीं हैं। पिछले साल उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के बीच गठबंधन है।
सपा-बसपा दोनों ही दल इन दिनों सदन के बाहर चुनावी तालमेल के गठजोड़ की कोशिश में है। अखिलेश यादव वर्ष 2000 कन्नौज में उपचुनाव में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। तब से उनका संसद में प्रतिनिधित्व बना रहा। मार्च 2012 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश यादव विधानसभा क्षेत्र से विधान परिषद के लिए चुने गए।
तूफान पीड़ितों को लेकर योगी सरकार पर भड़के अखिलेश यादव, सीएम बोले- पीड़ितों के जख्म पर न छिड़कें नमक
अखिलेश यादव का कार्यकाल शनिवार को पूरा हो जाएगा। ध्यान रहे कि गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव में बसपा प्रमुख मायावती ने सपा उम्मीदवारों को समर्थन देकर भाजपा की प्रतिष्ठापक सीटें सपा के खाते में देने में मदद की थी। अखिलेश यादव ने कन्नौज संसदीय क्षेत्र से 2019 में चुनाव लडऩे का संकेत दिया है। इस बीच वह संसद और विधानमंडल के किसी सदन में नहीं होंगे।