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अखिलेश से बसपा की ‘माया’ हो रही कम, उप-चुनाव में समाजवादी के बगैर ही जुड़ेगा चुनावी अखाड़ा

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में महागठबंधन के प्रत्याशियों का जमावड़ा देखते ही बनता है कभी नजदीकी तो कहीं दूरी यह दर्शाती है कि राजनीति में कुछ भी संभव है। अच्छे परिणाम न मिलने का इनपुट बसपा अध्यक्ष मायावती को उत्तर प्रदेश में बसपा जिलाअध्यक्ष, मंडल कोऑर्डिनेटर, नवनिर्वाचित सांसद, पराजित प्रत्याशियों तथा अन्य पार्टी पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में मिला है। मायावती को मिले फीडबैक से अब उत्तर प्रदेश में सपा व बसपा के साथ गठबंधन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

लेकिन अब माना जा रहा है कि अब बसपा विधानसभा उपचुनाव अकेले लड़ेगी। मायावती ने बैठक में कहा कि गठबंधन का वोट चुनावों में ट्रांसफर नहीं हुआ। राजधानी नई दिल्ली में सांसदों, कोआर्डिनेटरों, जिला अध्यक्षों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान मायावती ने कहा कि सपा के साथ गठबंधन से कोई खास फायदा नहीं हुआ। यादव वोट अपेक्षा के अनुरूप हमको ट्रांसफर नहीं हुए। शिवपाल यादव ने यादव वोटों को बीजेपी में ट्रांसफर करा दिया। सपा इसे रोक नहीं पाई। सपा इसे रोक नहीं पाई। अखिलेश यादव इस चुनाव में यादव वोटों का बंटवारा रोक नहीं पाए। बसपा का साफ मानना है कि गठबंधन से कोई फायदा नहीं हुआ, लोकसभा चुनाव में यादव वोट हमको ट्रांसफर नहीं हुए।

लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन के बावजूद अपेक्षाकृत नतीजे न आने से नाखुश बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी की मीटिंग में कहा है कि यूपी के 11 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में उनकी पार्टी अकेले लड़ेगी। दिल्ली के सेंट्रल ऑफिस में आज समीक्षा बैठक में बसपा मुखिया मायावती गठबंधन के बाद भी मिले नतीजे से नाखुश हैं। उन्होंने कहा कि गठबंधन से हमारी पार्टी को तो फायदा नहीं हुआ। अब विधानसभा उपचुनाव बसपा अकेले लड़ेगी। छह महीने में ही उप चुनाव होने हैं। 11 सीटों पर होने वाले उप चुनाव में एक और सपा के एक विधायक जीतकर संसद पहुंचे हैं। जलालपुर से बसपा विधायक रितेश पांडेय अम्बेडकरनगर से चुने गए हैं और रामपुर से सपा के आजम खान सांसद बने हैं।

बसपा का उपचुनाव लडऩे का फैसला चौंकाने वाला है। बसपा के इतहास के देखें तो पार्टी उपचुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारती। 2018 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने प्रत्याशी नहीं उतारे थे और सपा को समर्थन किया था। इसी आधार पर लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन बना। परिणाम मनमाफिक नहीं आए। अब अगर मायावती अकेले चुनाव में उतरने का फैसला करती हैं तो गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठाना लाजमी है। सपा से गठबंधन के तहत बसपा ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें सिर्फ 10 सीटों पर उसे जीत हासिल हुई। 37 सीटों पर चुनाव लडऩे वाली सपा के खाते में महज पांच सीटें ही आई। तीन सीट पर लड़ी राष्ट्रीय लोकदल का तो खाता ही नहीं खुला।

EVM को लेकर आरएस कुशवाहा ने कसी कमर

बसपा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा ने हार का कारण ईवीएम को बताया है। कहा कि ईवीएम को लेकर पार्टी ने पहले भी आवाज उठाई थी और आगे भी उठाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि बसपा की मांग है कि बैलट पेपर से चुनाव हो। श्रावस्ती से नवनिर्वाचित बसपा सांसद राम शिरोमणि वर्मा ने ईवीएम घोटाले का आरोप लगाया। हम चाहते हैं कि बैलेट पेपर से चुनाव कराया जाए, जो निष्पक्ष हो। बहनजी जो भी दिशा निर्देश देंगी, हम उसका पालन करेंगे। लोकसभा चुनाव में शिकस्त के बाद अब बसपा नई योजना तैयार करने में लग गई है।

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