नई दिल्ली: आगामी लोकसभा चुनाव की सुबगुबाहट शुरू होने से पहले ही डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन ने राहुल गांधी को 2019 में प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार बता दिया। इस ऐलान के बाद से ही कांग्रेस के संभावित गठबंधन सहयोगियों में बेचैनी बढ़ गई है। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि अगर कोई ऐसा कहता भी है तो इसका मतलब यह नहीं है कि गठबंधन के सहयोगियों की राय भी वही है।
महागठबंधन से पहले नाम नहीं
अखिलेश से पहले ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की ओर से राहुल के नाम के ऐलान पर असहजता सामने आई थी। नाम न जाहिर करने की शर्त पर टीएमसी के एक सांसद का कहना है, ‘हमारी पार्टी का मानना है कि इस तरह की घोषणाओं से गलत संदेश जा सकता है। पीएम उम्मीदवार पर फैसला लोकसभा चुनाव के बाद लिया जाना चाहिए। समय से पहले किए गए किसी भी ऐलान से विपक्षी दलों में फूट पड़ सकती है।’
‘बीजेपी से नाराज हैं लोग’
अखिलेश यादव ने इस बारे में कहा, ‘लोग बीजेपी से नाराज हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री (केसीआर), ममताजी और शरद पवारजी ने प्रयास किया है कि सभी नेता साथ आएं और एक गठबंधन बनाएं। ऐसे में अगर कोई अपनी राय दे भी रहा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि गठबंधन की भी वही राय है।’
इस बीच बीएसपी और टीडीपी जैसे गठबंधन सहयोगी भी स्टालिन के इस ऐलान पर चुप्पी साधे हुए हैं। टीडीपी के नेता की ओर से कहा गया, ‘हमारे नेता का पूरा ध्यान फिलहाल ऐंटी बीजेपी मोर्चा बनाने पर है। चूंकि डीएमके यूपीए-2 सरकार का भी हिस्सा रह चुकी है, ऐसे में राहुल गांधी के संबंध में की गई उनकी घोषणा को हम समझ सकते हैं। हम इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहेंगे क्योंकि अभी हमारा फोकस पीएम उम्मीदवार पर नहीं है।’