नई दिल्ली : मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में जहां अब ज्यादा समय नहीं बचा है। वहीं राज्य में सियासी उठापटक तेज हो गई है। कुछ दिनों पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा था कि वह अकेले ही चुनाव मैदान में उतरेंगी। इसके बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव के साथ मिलकर कांग्रेस गठबंधन पर बातचीत कर रही थी। लेकिन कांग्रेस के इन प्रयासों को शनिवार को झटका लगा है।
कांग्रेस ने हमें काफी इंतजार करवाया
सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, ‘कांग्रेस ने हमें काफी इंतजार करवाया है। हम बसपा के साथ बातचीत करेंगे। यदि कांग्रेस उनके साथ गठबंधन करना चाहती है तो वह खुद कोशिश करे। फिलहाल उनकी पार्टी का कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं है।’
कांग्रेस ने जताई थी इच्छा
सपा के साथ गठबंधन का संकेत देते हुए मध्यप्रदेश कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ ने गुरुवार को कहा था कि कुछ दिनों पहले मैंने अखिलेश यादव से बात की है। हम उनके साथ बातचीत कर रहे हैं। वहीं बसपा के साथ गठबंधन टूटने पर उन्होंने कहा था, ‘बसपा ने जिन सीटों की हमें सूची दी थी वहां उसके जीतने के कोई आसार नहीं थे और जिन सीटों पर वह चुनाव जीत सकते थे उन्हें सूची में शामिल नहीं किया गया था।’
अखिलेश ने दी थी कांग्रेस को सलाह
बसपा के साथ गठबंधन टूटने पर अखिलेश ने कांग्रेस को सलाह देते हुए कहा था, ‘कांग्रेस को समान विचारधारा वाले दलों को साथ लेकर चलना चाहिए। कांग्रेस अच्छी पार्टी है, उसे दिल बड़ा करना चाहिए।’ वहीं एमपी में गठबंधन टूटने के लिए मायावती ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि दिग्विजय आरएसएस एजेंट हैं। मायावती ने यह भी कहा था कि कांग्रेस उनकी पार्टी को खत्म करना चाहती है और वह उसके साथ कभी गठबंधन नहीं करेंगी।