मऊ/लखनऊ। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का डंका बज रहा है। कई जिलों से बीजेपी (BJP) प्रत्याशियों के निर्विरोध की खबरें आ रहीं हैं। हालांकि सपा (SP) समेत सभी विपक्षी दल बीजेपी पर तानाशाही रवैया अपनाने का भी आरोप लगाया है।
इस बीच मऊ जिले में भाजपा के उपाध्यक्ष और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के बेहद खास एमएलसी अरविंद कुमार शर्मा (ए के शर्मा) (MLC Arvind Kumar Sharm) की रणनीति का डंका बजा है।
बीते कुछ महीनों से यूपी के सबसे छोटे जिलों में से मऊ सबसे चर्चित रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण रहे हैं ए के शर्मा। अगर बात करें तो ए के शर्मा (AK Sharma) का नाम अब यूपी (UP) की सियासत में किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं।
इस बीच जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में ए के शर्मा का जलवा देखने को मिला है। मऊ से जिला पंचायत अध्यक्ष पद के बीजेपी प्रत्याशी मनोज राय ने निर्विरोध जीत हासिल कर ली है। गौरतलब है कि मनोज राय को ए के शर्मा के सबसे करीबी लोगों में गिना जाता है।
पहले से ही तय था निर्विरोध निर्वाचन
मनोज राय (Manoj Rai) के जीतने के बाद यह तो तय हो गया था कि बीजेपी से जिला पंचायत अध्यक्ष पद के प्रत्याशी वही होंगे। हालांकि साथ में ही यह भी लगभग तय हो गया था कि उनका निर्विरोध निर्वाचन होगा।
क्योंकि, सपा से जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए सबसे बड़े दावेदार थे धर्मप्रकाश यादव (Dharm Prakash Yadav) थे। लेकिन, वे बसपा से चुनाव हार गए थे। उनकी पत्नी अंशा यादव (Ansha Yadav) भी जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकीं हैं। वहीं बसपा के समर्थन से कुल सात जिला पंचायत सदस्यों ने चुनाव जीता है लेकिन किसी ने भी चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं जताई थी।
ए के शर्मा ने पहले ही दे दिए थे संकेत
जिला पंचायत चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद मनोज राय को अध्यक्ष प्रत्याशी बनने के संकेत ए के शर्मा ने काफी पहले ही दे दिया था। हालांकि बताया जा रहा है स्थानीय बीजेपी का संगठन मनोज राय को प्रत्याशी बनाने के समर्थन में नहीं था। लेकिन, ए के शर्मा के सजातीय मनोज राय की नजदीकी जगजाहिर थी। ऐसे में संगठन का भी आंतरिक विरोध बहुत काम नहीं आया।
बसपा के कद्दावर नेता रहे हैं मनोज राय
मनोज राय ने अपनी राजनीति की एक लंबी पारी बहुजन समाज पार्टी से खेली है। वे बसपा के समर्थन से जिला पंचायत सदस्य रहने के अलावा कोपागंज से ब्लाक प्रमुख भी रह चुके हैं। मऊ के बाहुबली नेताओं मे शुमार रह चुके मनोज राय को बसपा ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ सदर विधानसभा से 2017 में टिकट भी दिया था। लेकिन, ऐन वक्त पर अंसारी परिवार के बसपा में शामिल होते ही उनका टिकट कट गया। जिससे नाराज होकर उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर लिया था।
सपा के पूर्व विधायक कपिलदेव की हत्या का है आरोप
मनोज राय मऊ में दबंग नेताओं की श्रेणी में आते हैं। उन पर साल 2010 में घोसी विधानसभा से समाजवादी पार्टी के विधायक रहे कपिलदेव यादव की हत्या का भी आरोप है। इस मामले में मनोज राय जेल की हवा भी खा चुके हैं। हालांकि कपिलदेव यादव की हत्या में कई लोगों पर नामजद एफआईआर दर्ज हैं।
छात्र नेता से पंचायत अध्यक्ष तक का सफर
मनोज राय का परिवार राजनीति में काफी पहले से ही सक्रिय रहा है। मऊ के विकास पुरूष कहे जाने वाले कांग्रेस के पूर्व सांसद कल्पनाथ राय के साथ मनोज राय के चाचा राजनाथ राय के करीबी संबंध रहे हैं। उनके चाचा करीब 24 साल तक ब्लाक प्रमुख रहे थे।
छात्र जीवन से ही मनोज राय की दिलचस्पी राजनीति में थी। साल 1994 में छात्रसंघ के महामंत्री बने। उसके बाद 2001 में कोपागंज से ब्लाक प्रमुख निर्वाचित हुए थे। 2002 में घोसी विधानसभा से चुनाव भी लड़ा लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा था।
2010 में वह सहरोज से जिला पंचायत सदस्य चुने गए तो भाई को ब्लाक प्रमुख बनवा दिया। 2015 में भी उन्होंने जिला पंचायत का चुनाव जीता और 2021 में जीत की हैट्रिक लगाते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष भी बन गए।