अपनी संतान की मंगलकामना और लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला अहोई अष्टमी व्रत इस वर्ष 8 नवंबर, रविवार को है. इस दिन माताएं पूरे विधि-विधान से अपने बच्चों के लिए व्रत रखकर पूजा करती हैं. इस व्रत का संबंध एक पौराणिक कथा से है, जिसे इसी दिन सुना व सुनाया जाता है.
अहोई अष्टमी 2020 तिथि
8 नवंबर, 2020
अहोई अष्टमी 2020 शुभ मुहूर्त
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त- शाम 5 बजकर 31 मिनट से शाम 6 बजकर 50 मिनट
क्यों रखा जाता है अहोई माता का व्रत
अहोई अष्टमी देवी अहोई को समर्पित त्योहार है, जिन्हें अहोई माता के नाम से जाना जाता है. महिलाएं अपनी संतानों की लंबी आयु और परिवार की सुख समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं. अहोई अष्टमी का व्रत छोटे बच्चों के कल्याण के लिए रखा जाता है.
कैसे करें पूजा अर्चना
व्रत के दिन प्रात: उठकर स्नान किया जाता है और पूजा के समय ही संकल्प लिया जाता है कि “हे अहोई माता, मैं अपने पुत्र की लंबी आयु एवं सुखमय जीवन हेतु अहोई व्रत कर रही हूं. अहोई माता मेरे पुत्रों को दीर्घायु, स्वस्थ एवं सुखी रखें।” अनहोनी से बचाने वाली माता देवी पार्वती हैं इसलिए इस व्रत में माता पर्वती की पूजा की जाती है. अहोई माता की पूजा के लिए गेरू से दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाया जाता है और साथ ही स्याहु और उसके सात पुत्रों का चित्र भी निर्मित किया जाता है. माता जी के सामने चावल की कटोरी, मूली, सिंघाड़े रखते हैं और सुबह दिया रखकर कहानी कही जाती है. कहानी कहते समय जो चावल हाथ में लिए जाते हैं, उन्हें साड़ी/ सूट के दुप्पटे में बांध लेते हैं. सुबह पूजा करते समय लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखते हैं. ध्यान रखें कि यह करवा, करवा चौथ में इस्तेमाल हुआ होना चाहिए. इस करवे का पानी दिवाली के दिन पूरे घर में भी छिड़का जाता है. संध्या काल में इन चित्रों की पूजा की जाती है. पके खाने में चौदह पूरी और आठ पूयों का भोग अहोई माता को लगाया जाता है. उस दिन बयाना निकाला जाता है. बयाने में चौदह पूरी या मठरी या काज होते हैं. लोटे का पानी शाम को चावल के साथ तारों को आर्ध किया जाता है.