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देश में 20 भ्रूण प्रौद्योगिकी केंद्रों की स्‍थापना की जा रही है-कृषि मंत्री

देश में 20 भ्रूण प्रौद्योगिकी केंद्रों की स्‍थापना की जा रही है-कृषि मंत्री

केन्‍द्रीय कृषि और किसान कल्‍याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा, पशु पालक किसानों के सामाजिक और आर्थिक विकास के संदर्भ में ‘कृषि और डेयरी उद्योग’ एक-दूसरे के पूरक हैं।मंत्री ने कहा कि इस उद्देश्‍य की प्राप्‍ति के लिए यह आवश्‍यक है कि उत्‍पादन बढ़ाने के लिए हमारे पास बेहतर नस्‍ल के पशु हों। ‘राष्‍ट्रीय दुग्‍ध दिवस’ के अवसर पर अपने संबोधन में उन्‍होंने कहा कि राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत अधिक संख्‍या में मादा जानवरों के उत्‍पादन के लिए 10 सीमेन केंद्रों की पहचान की गई है। केंद्र में लिंग चयनित सीमेन का उत्‍पादन होगा।

 

देश में 20 भ्रूण प्रौद्योगिकी केंद्रों की स्‍थापना की जा रही है-कृषि मंत्री
देश में 20 भ्रूण प्रौद्योगिकी केंद्रों की स्‍थापना की जा रही है-कृषि मंत्री

इसे भी पढ़ेःकृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कृषि सुधार के क्षेत्र में सरकार की उपलब्धियां गिनाईं

उत्‍तराखंड और महाराष्‍ट्र में दो केंद्रों के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी गई है। जून, 2018 को उत्‍तराखंड के ऋषिकेश में लिंग चयनित सीमेन केंद्र की आधारशिला रखी गई है। इसके अतिरिक्‍त स्‍थानीय नस्‍लों के जिनोम चयन के लिए इंडसचिप को विकसित किया गया है। इसके उपयोग से 6,000 डेयरी जानवरों का मूल्‍यांकन किया गया है। उन्‍होंने जानकारी देते हुए कहा कि राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत 13 राज्‍यों में 20 गोकुल ग्रामों को मंजूरी दी गई है। इनकी कुल लागत 197 करोड़ है। योजना के पशु संजीवनी घटक के तहत यूआईडी (यूनिक आइडेंटिफिकेशन डिवाइस) का उपयोग करके 9 करोड़ दुधारू पशुओं की पहचान की गई है।

कृषि मंत्री ने कहा कि विश्‍व के सबसे बड़े दुग्‍ध उत्‍पादक होने का श्रेय भारत के पशु पालक किसानों तथा भारत सरकार की विभिन्‍न योजनाओं को जाता है। उन्‍होंने आगे कहा कि देश में 20 भ्रूण स्‍थानांतरण प्रौद्योगिकी केंद्रों की स्‍थापना की जा रही है और अब तक 19 केंद्रों के प्रस्‍ताव को मंजूरी दी गई है। इन केंद्रों में स्‍वदेशी नस्‍ल के 3000 उच्‍च जेनेटिक्‍स बैलों का उत्‍पादन हो रहा है।

किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार ने नवंबर, 2016 में ई-पशुहाट (https://epashuhaat.gov.in/) पोर्टल का शुभारंभ किया था। यह पोर्टल रोग मुक्‍त जनन पदार्थ (जर्म-प्‍लाज्‍म) जैसे पशु, फ्रोजन सीमेन व भ्रूण के व्‍यापार में किसानों, प्रजनकों व अन्‍य एजेंसियों को परस्‍पर जोड़ने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अब एक मोबाइल ऐप ई-पशु हाट (जीपीएमएस) ट्रांसपोर्टल विकसित किया गया है और इसे उमंग ऐप से जोड़ा गया है।

किसान, उमंग ऐप को अपने मोबाइल फोन पर डाउनलोड कर सकते हैं। वे अब 100 किलोमीटर के दायरे में रोगमुक्‍त जनन-पदार्थ सेवा की उपलब्‍धता के बारे में जानकारी प्राप्‍त कर सकते हैं। ई-पशु हाट ऐप एक करोड़ पंजीकृत उमंग उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्‍ध है।

महेश कुमार यादव

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