चंडीगढ़। पंजाब की पूर्व अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान राज्य में आंदोलनों की भरमार रही है। बादल सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान पंजाब में रोजाना औसतन 28 आंदोलन होते थे। पांच वर्ष के दौरान इनकी संख्या 50 हजार से अधिक पहुंच गई थी। पंजाब की पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान सबसे अधिक धरने-प्रदर्शन सरकारी विभागों के कर्मचारियों द्वारा किए गए हैं। पांच वर्ष के दौरान इनकी संख्या 23 हजार 901 तक पहुंच गई थी। कर्मचारियों ने पिछली सरकार के समय रोजाना औसतन 14 स्थानों पर धरने प्रदर्शन किए।
बता दें कि सूचना अधिकार के तहत गृह विभाग के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार गठबंधन सरकार के कार्यकाल के प्रथम चार वर्षों के दौरान 11 आंदोलन ऐसे हुए हैं जिनमें पुलिस द्वारा गोली चलाई गई तथा 32 आंदोलन ऐसे हुए जिनमें पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया। आंकड़ों को आधार बनाया जाए तो पूर्व सरकार के अंतिम तीन वर्ष के कार्यकाल के दौरान धरने,प्रदर्शन तथा आंदोलनों की संख्या अधिक रही है।
वहीं पिछले पांच वर्षों के दौरान पंजाब में 1756 छात्र आंदोलन हुए जबकि 7755 मजदूर आंदोलन हुए हैं। विभिन्न राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं, नेताओं द्वारा कुल 8968 आंदोलन तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में किए गए हैं। इनमें कांग्रेस तथा आम आदमी पार्टी के आंदोलन भी शामिल रहे हैं। हालांकि मंत्रालय ने किसानों, बेरोजगार कर्मचारियों तथा व्यापारियों द्वारा किए गए आंदोलनों का ब्यौरा सार्वजनिक करने की बजाय केवल यही बताया है कि प्रदेश में उपरोक्त के अलावा अन्य आंदोलनों की संख्या 8299 रही है।
इसमें बेरोजगारों तथा किसानों के आंदोलन अधिक होने की संभावना है। वर्ष वार ब्यौरे के अनुसार अगर बात की जाए तो पूर्व अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2012 में कुल 4246 आंदोलन, 2013 में 7306 आंदोलन, 2014 में 14 हजार 574 आंदोलन तथा 2015 में 13 हजार 89 तथा वर्ष 2016 में 11 हजार 876 आंदोलन पंजाब में हुए हैं। पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान पुलिस द्वारा आंदोलनकारियों से निपटने के लिए कुल 11 बार गोली चलाई गई जिसमें 8 आंदोलनकारियों की जान गई और 70 के करीब घायल हुए हैं। गृह विभाग की रिपोर्ट के अनुसार संघर्ष के दौरान जहां आम लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा वहीं इन आंदोलनों के समय 100 से अधिक पुलिस कर्मी भी घायल हुए हैं।