लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर शुरू होते ही राजधानी लखनऊ में दहशत और अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है। कहीं अस्पतालों में बेड की कमीं, तो कहीं ऑक्सीजन की किल्लत से तमाम जिंदगी मौत के आगोश में समा गई हैं। जबकि यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग समेत अनेक विभागों को भी सख्त निर्देश दिए है। तो वहीं प्रदेश की जनता को इस भयावाह महामारी से बचाने के लिए योगी सरकार लगातार प्रयास भी कर रही है। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर को देखकर प्रदेश की जनता अभी भी इस सदमे को भूल नहीं पाई है। कि इस संक्रमण ने उनके अपनों को हमेशा के लिए छीन लिया। ऐसे में प्रदेश की आमजनता के अलावा कई दिग्गज नेताओं का रसूख कोरोना ने पंचतत्वों में विलीन कर दिया है।
भाजपा विधायक व उनकी पत्नी की मौत
बीती 23 अप्रैल को लखनऊ पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुरेश कुमार श्रीवास्तव की कोरोना से मौत हो गई। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार दोनों पति-पत्नी कोरोना संक्रमित थे। उन दोनों का इलाज पीजीआई अस्पताल में चल रहा था। विधायक की मौत के तीसरे दिन उनकी पत्नी मालती श्रीवास्तव भी कोरोना से लड़ते हुए जिंदगी की जंग हार गई। सूत्रों की मानें पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुरेश कुमार श्रीवास्तव रसूखदार नेता थे। संघ से जुडे रहने के साथ ही जनता की समस्याओं को सुनने के लिए अपने घर पर ही जनता दरबार लगाते थे।
पूर्व मंत्री ने हारी कोरोना से जंग
बीते सात मई को कोरोना संक्रमित भाजपा विधायक दल बहादूर कोरी की मौत हो गई। दल बहादूर रायबरेली के सलोन सीट से विधायक थे। उनका इलाज भी लखनऊ के एक अस्पताल में चल रहा था। अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उनकी मौत हो गई। बतातें चलें कि, रायबरेली जनपद में कोरी व उनके समर्थकों का काफी बोलबाला रहा। हालांकि, प्रदेश में कोरी से पहले भाजपा विधायक रमेश दिवाकर, विधायक सुरेश श्रीवास्तव और बरेली नवाबगंज सीट के विधायक केसर सिंह गंगवार का रसूख कोरोना ने राख में तब्दील कर दिया।
सपा नेता का कोरोना ने तोड़ा तिलिस्म
सात मई को समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री विनोद कुमार सिंह की कोरोना से मौत हो गई। उनका इलाज लखनऊ के प्राइवेट अस्पताल में चल रहा था। असल में विनोद कुमार सिंह गोंड़ा जनपद कस्बा नवाबगंज कस्बे के निवासी थे। वह पंडित सिंह के नाम चर्चित थे। कैबिनेट मंत्री रहने के साथ पूर्वांचल में पंडित सिंह का वर्चस्व् था। पंडित सिंह की मौत पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की थी।
बेड के अभाव में जासूस की मौत
कोरोना की दूसरी लहर में राजधानी लखनऊ में संक्रमित मरीजों की मौत का ग्राफ अचानक बढ़ने लगा था। लखनऊ में अभी भी अस्पतालों में स्थिति जस की तस बनी हुई है। अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत है, वहीं कोरोना संक्रमित मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहे हैं। इसी कड़ी में 26 अप्रैल को राजधानी के अस्पतालों में बेड न मिल पाने और कोरोना की जद में आए रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व जासूस मनोज रंजन की मौत हो गई थी।
लॉकडाउन का असर, घटने लगे केस
योगी सरकार ने इस महामारी से बचने के लिए पूरे प्रदेश में 31 मई तक लॉकडाउन लागू कर दिया है। जिसमें आवश्यक सेवाओं में ढीले देने के अलावा सर्तकता बढ़ाई गई है। हालाकि, पूरे प्रदेश में लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। लॉकडाउन के बाद से प्रदेश में संक्रमित मरीजों की संख्या भी घटकर सामने आई है। परिणाम स्वरूप बीते 24 घंटे में 84880 एक्टिव केस रहे। जबकि 4844 नए मामले आए। प्रदेश में मरीजों की स्थिति देखा जाए तो 24 अप्रैल को 38055 मरीज मिले थे। इस हिसाब से कुल मरीजों की संख्या में करीब 87 फीसदी कमी आई हैं। इसी तरह रविवार को 14086 मरीज डिस्चार्ज हुए हैं और 234 लोगों की मौत हुई है। प्रदेश में टेस्टिंग की संख्या बढ़कर 317620 हो गई।
सीएम लगातार कर रहे निगरानी
प्रदेश में कोरोना की भयावाह स्थिति को देखकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देशों पर सभी जिलों में लगातार कोरोना नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है। कोरोना कर्फ्यू, टेस्ट, ट्रीट और ट्रेस की आक्रामक नीति, गांवों में सफाई और सैनेटाईजेशन, निगरानी समितियों के जरिए कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए जागरूकता अभियान, संदिग्ध लोगों में नि:शुल्क मेडिकल किट के वितरण आदि कारगर साबित हो रहा है। बतातें चलें कि सीएम ने अब तक प्रदेश के 18 मंडलों में से मीरजापुर, देवीपाटन और आजमगढ़ को छोड़ 15 का दौरा कर चुके हैं।