बैंकॉक। थाईलैंड में एक अलग ही कारनामा देखने को मिला है। यहां दो महीने पहले मौत के आगोश में समा चुके एक बौद्ध भिक्षु के शव को जब उनकी कबर से निकाला गया तो सब उनके शरीर को देखकर भौंचक्का रह गए। असर में बौद्ध भिक्षु के शरीर पर दो महीने बाद भी कोई ज्यादा असर नहीं पड़ा था और उनके चहरे पर एक मुस्कान थी। मिली जानकारी के मुताबिक बौद्ध भिक्षुओं के गुरु लोंग-फोर-पिन की 92 साल की उम्र में मौत हो गई थी। दो महीने पहले मौत की नींद सोने वाले भिक्षु के शरीर पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। आपको बता दें कि एक रस्म के मुताबिक भिक्षुओं को वहीं दफनाया जाता है जिस मंदिर में वो सेवा करते हैं।
दरअसल यहां एक रस्म को निभाया जाता है, जिसके तहत भिक्षु की मौत के दो महीने बाद एक खास रस्म के लिए उनका शव कब्र के बाहर निकाला जाता है और दोबारा से उसे नहलाकर नए कपड़े पहनाए जाते हैं। इसके बाद मौत के 100वें दिन तक उसकी पूजा होती है और फिर बाद में शव को हमेशा के लिए दफना दिया जाता है। वहीं भिक्षु के चेहरे पर मुस्कान को देखकर बाकि के भिक्षुओं का कहना है कि उनकी मुस्कान ये बताती है कि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो चुकी है और वो कब्र में चैन की नींद सो रहे थे। वहीं भिक्षु के शव को देखकर एक्सपर्ट्स ने कहा कि यकीन करना मुश्किल है कि 2 महीने बाद भी उनका शरीर वैसा ही है। उनकी बॉडी की हालत जरूर कुछ बिगड़ी है पर ये ऐसी लग रही है मानो इनकी मौत सिर्फ 36 घंटे पहले हुई हो।