जब से कोरोना शुरू हुआ है। तब से काफी अजीब -गरीब चीजें सामने आ रही हैं। जिसकी वजह लोग इस साल को बिल्कुलअलग बता रहे हैं। इतना ही नहीं लोगों का मन आस्था की तरफ जा रहा है। जो लोग जिंदगी की भागदौड़ में धर्म कर्म को भूल गये थे। वो वापस धर्म कर्म की बातें करने लगे हैं और इतिहास के पन्नों में जिंदगी को तलाश ने लगे हैं।
लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं इसका क्या एक कारण है …आप इन सवालों को लोगों का खालीपन बता सकते हैं। या फिर आप कह सकते हैं कि, मन की शांति के लिए लोगों का झुकाव धर्म और धार्मिक किताबों की तरफ बढ़ा है। तो वहीं काफी लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि, मरने के बाद क्या होता कहां जाती है आत्मा..
आज हम आपके इन्हें सवालों के कुछ ऐसे जवाब लेकर आये हैं। जिन्हें जानकर आपको सारे सवालों का जवाब मिल जाएगा।
प्राचीन बेबीलोन और मिस्र में मौत के बाद शव को खास लेप लगाकर ताबूत में रखकर दफनाया जाता था। माना जाता था कि एक समय बाद आत्मा फिर पुराने शरीर में वापस लौट आएगी, जिसका कोई प्रमाण कभी नहीं मिला।अधिकतर धार्मिक व्यक्तियों का मानना है कि आत्मा कभी नष्ट नहीं होती है। आत्मा केवल एक शरीर को छोड़ती है और शरीर मृत हो जाता है। कोमा में पहुंच गए कई मरीजों ने मौत के मुंह से लौट आने के बाद अपने अनुभव बताए हैं। इनमें से कुछ लोगों का दावा है कि उन्होंने एक सुरंग देखी जिसके आखिरी छोर से भरपूर प्रकाश नजर आ रहा था। क्या ये दूसरी दुनिया की झलक होती है? खैर हम निश्चित तौर पर तो नहीं कह सकते है ये सच है या नहीं।
मरने से कुछ क्षण पहले ऐप्पल फाउंडर स्टीव जॉब्स को ‘ओह वाउ, ओह वाउ, ओह वाउ’ कहते हुए सुना गया था। यह कहने के कुछ ही सेकंड बाद उनकी मौत हो गई। उनके आखिरी शब्दों का क्या मतलब था? क्या वह मरते समय बहुत ही खुशी का अनुभव कर रहे थे। क्या वह कैंसर के दर्द से मुक्ति का अनुभव कर रहे थे या फिर वह कुछ ऐसा देख रहे थे जो हमारी कल्पना से परे हो।
एक थ्योरी यह भी कहती है कि मौत के बाद मृत शरीर से आत्मा निकलती है। कोमा स्टेज में पहुंचे कई लोग ऐसे अनुभव के बारे में बताते हैं। एक्सीडेंट के बाद मौत के मुंह से लौटकर आए कुछ लोगों का अनुभव है कि उन्होंने उस समय में अपने शरीर को देखा। इससे भी यही लगता है कि आत्मा और शरीर दो अलग-अलग चीजें है। एक जो क्षय हो जाती है और दूसरी कभी ना खत्म और नष्ट होने वाली आत्मा।
वेदों में भी मृत्यु के उपरांत आत्मा के अमर होने की बात लिखी गई है।
हालाकि विज्ञान इस पर कुछ और ही राय रखता है।वैज्ञानिक इसकी व्याख्या अपनी भाषा में करते हैं। उनका कहना है कि ऐसे अनुभव तब होते हैं जब क्वांटम पदार्थ नर्वस सिस्टम को छोड़ चुके होते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के डॉक्टर स्टुअर्ट हैमरऑफ का दावा है कि हमारी आत्मा का सार मष्तिष्क की कोशिकाओं में माइक्रोट्यूबुलस में होता है।जब हार्ट काम करना बंद कर देता है तो ये यूनिवर्स में वितरित होना शुरू हो जाती है और अगर व्यक्ति जीवित बच जाए तो फिर से लौटने लगता है। कुछ लोगों का कहना है कि मौत के ये अनुभव एक मनोवैज्ञानिक प्रत्यय हैं। दिमाग में होने वाले रासायनिक परिवर्तनों की वजह से ऐसे अनुभव होते हैं।
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हमने आपको कुछ ऐसे तथ्य बताये तो मरने के बाद आत्मा को लेकर अलग-अलग राय रखते हैं। अगर आपके पास भी इस लिष्य से जुड़ी हुई जानाकारी है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।