भोपाल। भारतीय जनता पार्टी में लोकसभा चुनाव में भी डैमेज कंट्रोल का प्लान कमजोर पड़ गया है।भिंड के महापौर अशोक अर्गल कांग्रेस के संपर्क में हैं, अनूप मिश्रा पर भी कांग्रेस की नजर है।
भाजपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों के दौरान ही चार नेताओं की एक टीम बनाई थी, जिसे असंतुष्टों से बातचीत करने की बागडोर सौंपी गई। इनमें वरिष्ठ नेता और प्रदेशाध्यक्ष रहे विक्रम वर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री रहे कृष्णमुरारी मोघे, माखन सिंह और भगवत शरण माथुर को शामिल किया गया था। पार्टी में टिकट से वंचित रहे असंतुष्टों ने सिर उठाना शुरू कर दिया है।
खबर है कि पिछले दो दिन से भिंड के पूर्व सांसद अशोक अर्गल कांग्रेस नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस से टिकट की सशर्त मांग भी रखी है । इसी तरह के हालात मुरैना सांसद अनूप मिश्रा का टिकट कटने के बाद बने हैं। मिश्रा पर कांग्रेस के नेता डोरे डाल रहे हैं। इसकी वजह ये है कि वे अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे हैं।
पार्टी ने लालकृष्ण आडवाणी से लेकर मुरलीमनोहर जोशी जैसे बड़े नेताओं के टिकट काट दिए हैं। कांग्रेस इस कोशिश में है कि अनूप मिश्रा उनकी पार्टी में आ जाएं तो वे इस बहाने भाजपा को अटल-आडवाणी की उपेक्षा जैसे आरोप लगाकर घेर सकें। ऐसे हालात कई संसदीय क्षेत्रों में हैं।
सीधी में सांसद रीति पाठक को दोबारा टिकट दिए जाने पर कई जगह विरोध प्रदर्शन किए गए।
पार्टी के असंतुष्ट गुट ने कार्यकर्ताओं को बरगलाना शुरू कर दिया। होशंगाबाद में सांसद उदयप्रताप सिंह के खिलाफ खुलकर गुटबाजी हो रही है। टिकट नहीं पाने से वंचित नेता सांसद के खिलाफ काम कर रहे हैं। खंडवा में सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के खिलाफ नाराज गुट अभी से सक्रिय हो गया है।
भाजपा में कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ संवाद की नियमित प्रक्रिया है। चुनाव के मौके पर पैदा होने वाली विपरीत परिस्थितियों के लिए भी प्रदेश नेतृत्व का सीधा संबंध जिलों से बना हुआ है। इसका मैकेनिज्म भी है, जो काम कर रहा है।