नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सोमवार को यहां चीन के नए राजदूत लुओ झाओहुई से मुलाकात की। यह घटना भारत द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकी सरगना जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में आतंकी के रूप में सूचीबद्ध करने के प्रयास में फिर से अड़ंगा डालने के कुछ ही दिनों बाद हुई है। दोनों के बीच मुलाकात साउथ ब्लॉक में हुई। चीन कश्मीर मुद्दे पर अपने सुख-दुख के साथी पाकिस्तान का खुलेआम समर्थन कर रहा है।
पिछले हफ्ते चीन ने फिर तकनीकी पेंच फंसाकर जैश प्रमुख को तीन महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की 1267 कमेटी में रोक लगवा दी। भारत जैश को गत दो जनवरी को हुए पठानकोट हमले के लिए और 18 सितम्बर को उड़ी में हुए हमले के लिए जिम्मेदार मानता है। पठानकोट हमले में सात सुरक्षाकर्मी और उड़ी में 19 जवान शहीद हो गए थे। गत मार्च में चीन ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध कमेटी ने अजहर को आतंकी के रूप में सूचीबद्ध कराने के भारत के प्रयास को रोकने के लिए वीटो का इस्तेमाल किया था।
यह बैठक ऐसी खबरें आने के बाद भी हुई है कि चीन ब्रह्मपुत्र नदी के सहायक नदियों में एक को सर्वाधिक खर्चीले जलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिए रोक रहा है।चीन ने कहा कि वह ब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी शियाबुकु को तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के शिगासे में लाल्हो जल विद्युत परियोजना के तहत एक बांध बनाने के लिए रोक रहा है।
चीनी राजनयिक के हवाले से लाहौर में कहा गया है कि किसी भी विदेशी आक्रमण की स्थिति में खुलेआम समर्थन देने की बात कही गई है और कश्मीर विवाद में पाकिस्तान के रुख का समर्थन भी किया गया है। डोभाल और लुओ की मुलाकाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ इसी माह गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन के अवसर पर होने वाली बैठक के पहले हुई है।
बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और बारामूला में सेना के शिविर पर फिदायीन हमले तथा पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम के उल्लंघन के मद्देनजर सुरक्षा हालात से उन्हें अवगत कराया। जिसके बाद वो चीन के राजदूत से मिले।