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दिल्ली के बाद अब बिहार चुनाव पर सबकी नज़र, नीतीश कुमार की जेडीयू को लगते है फिर से बनाएंगे सरकार

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पटना: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की जबरदस्त जीत के बाद अब सबकी नजरें बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर है। माना जा रहा है कि इस साल नवंबर तक वहां चुनाव करवा लिए जाएंगे। यह पहली बार है कि भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले गठबंधन नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस में शामिल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड और रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी एक साथ चुनाव लड़ने जा रही हैं। जनता दल के नेताओं का दावा है कि राज्य की सत्ता में उनकी छवि बेदाग है और उनका किला अभेद्य है। नीतीश कुमार कहते हैं कि वह राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वह ही बिहार में NDA का चेहरा हैं।

JDU महासचिव केसी त्यागी कहते हैं, ‘पिछले 15 साल में नीतीश कुमार ने सूबे से जातिवाद आधारित हत्याओं पर लगाम कसने में कामयाबी पाई है। माओवादी हिंसा पर काबू पाया है। पिछड़े और दलितों को आर्थिक तौर पर मजबूत किया है। उन्होंने उन्हें पंचायतों में आरक्षण दिया है और कई अन्य योजनाएं शुरू की हैं, जिसमें व्यवसाय शुरू करने के लिए 10 लाख रुपये ब्याज मुक्त लोन शामिल है। नीतीश कुमार ने महिलाओं का समर्थन भी हासिल किया है। राज्य सरकार ने नौकरियों में महिलाओं को 27 फीसदी आरक्षण दिया है। छात्रों को चार लाख रुपये तक ब्याज मुक्त लोन दिया जा रहा है और एक हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता भी दिया जा रहा है। यही वजह है कि पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में JDU ने अच्छा प्रदर्शन किया था। आम चुनाव में BJP ने 17 सीटें, JDU ने 16, LJP ने 6 और कांग्रेस ने 1 सीट जीती थी। लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल एक भी सीट जीतने में नाकाम रही थी।

पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में RJD का एक भी सीट नहीं जीतना RJD नेता तेजस्वी यादव के माथे पर बदनुमा दाग लगने जैसा है। चुनाव के बाद से ही वह पार्टी से थोड़ा दूरी बनाए हुए हैं। पिछले साल बिहार में आई बाढ़ और मुजफ्फरपुर में दर्जनों बच्चों की मौत पर तेजस्वी की चुप्पी जरूर सवाल खड़े करती है। इतना ही नहीं, वह घटक दलों के नेताओं जैसे- उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी या मुकेश मल्लाह के भी संपर्क में नहीं हैं। सोशल मीडिया पर भी तेजस्वी द्वारा नीतीश सरकार के खिलाफ तल्खी थोड़ी कम है।

नीति आयोग ने अपनी जिस रिपोर्ट में बिहार सरकार पर सवाल खड़े किए थे, उसको लेकर भी तेजस्वी सरकार पर हमला बोलने से चूक गए। जब समूचा विपक्ष नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ एकजुटता की बात कह रहा है, उससे जुड़े एक कार्यक्रम में भी तेजस्वी बीच में उठकर ही चले गए। JDU नेताओं का कहना है कि तेजस्वी यादव ने जिस तरह अपनी जिम्मेदारियों का त्याग किया है, यह सब मुख्यमंत्री के पक्ष में जाएगा। सीएम आगामी चुनाव में अपनी शानदार परफॉर्मेंस के आधार पर जनता के बीच जाएंगे। नीतीश कुमार जनता के बीच 2015 में किए गए 7 बड़े चुनावी वादों को पूरा करने की बात कहते हुए वोट मांगेंगे। बिहार में समयसीमा से पहले सभी घरों में बिजली पहुंचाना और जून 2020 तक राज्य के सभी घरों में पानी उनकी बड़ी उपलब्धियों में रहेगा। यह दो योजनाएं चुनाव में बड़ा असर करेंगी। कॉलेज-यूनिवर्सिटी में वाई-फाई और छात्रों को बगैर ब्याज वाले क्रेडिट कार्ड उनके द्वारा किए गए वादों में प्रमुख था।

पिछले महीने नीतीश सरकार ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर ‘जल, जीवन, हरियाली’ कार्यक्रम की शुरूआत की है। इसके तहत राज्य सरकार पेड़ लगाने और वॉटर टेबल को रिचार्ज करने की दिशा में अगले तीन वर्षों तक 8000 करोड़ रुपये (हर साल) खर्च करेगी। विपक्षी दल भी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि नीतीश सरकार का यह कार्यक्रम समाज के हर वर्ग पर सकारात्मक असर डालेगा और इससे मुख्यमंत्री की छवि में बड़ा परिवर्तन होगा। बहरहाल आगामी विधानसभा चुनाव में अगर RJD को पूरी ताकत से चुनावी ताल ठोकनी है तो उसके लिए उन्हें अपने मुखिया लालू प्रसाद यादव की जरूरत होगी लेकिन फिलहाल वह भ्रष्टाचार के आरोपों में सजा काट रहे हैं।

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