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आखिर खेतों से समुंद्र में जहर कैसे पहुंचा, क्यों इकोलॉजिस्ट कर रहे त्रासदी का सामना?

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स्पेन के मुर्सिया इलाके में मारमोन लगुन यहां तट पर पहुंचे इकोलॉजिस्ट एक त्रासदी का सामना कर रहे हैं। लगभग 20 टन मरी हुई मच्छलियां बह कर तट पर आ पहुंची है। प्रांतीय सरकार का कहना है कि हाल ही के सालों में हुई वृद्धि इस हालात के लिए जिम्मेदार है। लेकिन पर्यावरण वित्त कहते हैं कि समुद्र में पहुंच रहे। विषैले तत्वों से ये संकट पैदा हुआ है। आस पास खेतों में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक और कीटनाशक बहकर सागर में जा रहे हैं। शहरीकरण और प्रदुषण की कीमत भी समुद्री जीव चुका रहे हैं।

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स्पेन की एक इकोलॉजिस्ट नतालिया लोरेंट का कहना है कि ये चौथा दिन है जब बड़ी मात्रा में मच्छलियां समुद्र के तट पर दिखाई दे रही है। इकोलॉजिस्ट की तरफ से हम दशकों से चेतावनी दे रहे हैं। हमें शक है कि पूरा लगुन खाद्द का भंडार बन चुका है। पर्यावरण वित्त कहते हैं कि अगर पानी की गिरती हुई गुणवत्ता को सुधारने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो हालात और खराब हो सकते हैं। इससे पहले 2016 और 2019 में भी इस तरह के हालात पैदा हुए थे। शायद यही वजह है कि हाल के सालों में स्पेन के दक्षिणी भूमध्य सागर में मच्छलियों के भंडार में कमी आई है।

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वहीं नतालिया ने आगे कहा कि हम प्रदुषण की भारी समस्या झेल रहे हैं। नाइट्रेट पानी में घुल कर नीचे पानी में पहुंच रही है। और धरती की सतह पर फोसफेट भी है। ऐसे में बेसन का परिस्थितियां नाटकीय रूप से बदल गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब भारी मात्रा में फोसफेट और नाइट्रेट पानी में जाता है तो समुंद्र शैवाल खुब फलते फूलते हैं। वह इतने सक्रीय हो जाते है कि सूर्य की किरणें पूरी तरह से समुद्र की सतह तक नहीं पहुंच पाती। जिसकी वजह से वहां ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। जिससे समुद्री जीवों का दम घुटने लगता है।

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बता दें कि मुर्सिया में बड़े पैमाने पर फल और सब्जियों की खेती होती है। यहां पैदा होने वाली चीजे उत्तरी यूरोप में निर्यात की जाती है। मुर्सिया की सरकार का कहना है कि हर दिन लगभग 5 मैट्रिक टन खाद्द आस पास के फार्मों से बह कर लगुन में पहुंच रहा है। यही खाद्द पानी में पहुंचकर शैवालों का पोषण कर रहा है। ये समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

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