नई दिल्ली। अपने देश की धरती को बचाने के लिए कई वीरों ने अपनी जान गवां दी जिनकी कुर्बानी की मिसाले लोग आज भी देते नहीं थकते। फिर चाहे वो शहीद भगत सिंह हो, सुखदेव हो या फिर राजगुरु। इन्हीं सबके बीच एक और नाम है जिसने अनाथ होते हुए भी अपनी देशी की धरती के कर्ज को चुकाया और वो है शहीद उधम सिंह। आज देश की आजादी को 70 साल बीत चुके है लेकिन बीते इन सालों में शहीदों की मौत पर सियासत का खेल आज भी जारी है।
पंजाब के इस जाबांज क्रांतिकारी ने अपनी जान की बाजी लगाकर धरती मां को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने की ललल थी। पंजाब के बेटे उधम ने जलिया वाला बाग कांड के समय माइकल ओ ड्वायर को गोली मारी थी जिसके बाद उन्हें फांसी दे दी गई। लेकिन आज के हालातों को देखकर लगता है कि अगर इनके परिवार वालों को दो वक्त की रोटी भी मिल जाए तो शायद वो अपना जीवन आराम से बिता सके।
उधम सिंह के परिवार की आर्थिक हालात कैसी है इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि उनका पोता जग्गा सिंह रोजमर्रा की जरुरतों को पूरा करने के लिए एक दुकान पर काम कर रहा है जिसकी तनख्वाह 25,00 रुपये महीना है। बेरोजगारी की हालत से तंग आकर उधम के पोते ने दिल्ली की तरफ रुख किया है और वो अब जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगा रहे है। वैसे तो किसी भी शहीद के परिवार को सरकार की तरफ से कई सुविधाएं दी जाती है लेकिन आजादी के कई साल बीत जाने के बाद भी ये परिवार आज भी सुविधाओं से मरहूम है।
अपने शहीद बाबा के पोते जग्गा सिंह ने पंजाब सरकार पर आरोप लगाया है कि साल 2006 में पंजाब सरकार ने उनसे वादा किया था कि वो उन्हें नौकरी देंगे, लेकिन आज तक उस पर कार्रवाई नहीं हुई। ये वादा अमरिंदर सिंह ने किया था जिसके पूरे होने का इंतजार करते हुए 10 साल बीत चुके है लेकिन अभी तक इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।
इन्हीं वजहों से जग्गा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगाने दिल्ली आए है। 30 वर्षीय जग्गा सिंह दसवीं तक पढ़े हैं और संगरूर की एक कपड़े की दुकान में काम करते हैं।