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40 साल बाद खुलेगा जगन्नाथ मंदिर का रत्नभंडार, जानिए मंदिर के अनसुलझे रहस्य

Jagannath Temple FI 40 साल बाद खुलेगा जगन्नाथ मंदिर का रत्नभंडार, जानिए मंदिर के अनसुलझे रहस्य

देश के सबसे बड़े और प्रसिद्ध स्थलों में से एक ओडिशा के महाप्रभु जगन्नाथ जी के रत्नभंडार को खोलने का निर्णय लिया गया है। सुरक्षा की दृष्टि से राज्य सरकार ने मंदिर के रत्नभंडार को खोलने, इसकी छत और दीवारों की जांच करने का फैसला किया है। इस दौरान आम दर्शन को बंद रखा जाएगा।

 

Jagannath Temple FI 40 साल बाद खुलेगा जगन्नाथ मंदिर का रत्नभंडार, जानिए मंदिर के अनसुलझे रहस्य

 

राज्य सरकार के अनुसार इस खजाने के निरीक्षण के लिए केवल 10 लोग जाएंगे वो भी तन पर सिर्फ एक लंगोट के साथ। इसके साथ ही अंदर जाने और बाहर निकलने के बाद उनकी तीन बार चेकिंग की जाएगी। जगन्नाथ के मंदिर से जुड़े कई ऐसे राज हैं जो सुनकर हर कोई दंग रह जाता है।

 

मंदिर की चोटी पर एक ध्वज लगा है जिसे हर रोज बदला जाता है और दिलचस्प बात यह है कि ये धवज हमेशा हवा के रुख की विपरीत दिशा में लहराता है। ध्वज पर शिव का चंद्र बना हुआ है। 4 लाख वर्ग फुट में फैला जगन्नाथ का मंदिर 214 फुट ऊंचा है और पास खड़े होकर इसके गुंबद को देख पाना नामुमकिन है मुख्य गुंबद की छाया को दिन के समय भी नहीं देखा जा सकता है। यह इतना उंचा है कि पक्षी भी इसके आस-पास उड़ते नहीं दिखते हैं। यहां विश्व का सबसे बड़ा रसोईघर मौजूद है जिसमें रोजाना 500 लोगों का खाना बनाया जाता है।

 

मंदिर की एक और खास बात यह भी है कि सिंह द्वार से जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करते ही समंदर शांत हो जाता है और जैसै ही आप एक पैर भी मंदिर से बाहर निकालते हैं तो समुद्र की तेज लहरों की आवाज आपके कानों में पड़ने लगती है।

 

ऐसी मान्यता है कि मंदिर में मौजूद प्रतिमा के अंदर ब्रह्माजी का वास है। जब श्रीकृष्ण ने धर्म स्थापना के लिए धरती पर अवतार लिया तब उनके पास अलौकिक शक्तियां थीं। लेकिन शरीर मानव का था। जब धरती पर उनका समय पूरा हो गया तो वो शरीर त्यागकर अपने धाम चले गए।

 

इसके बाद पांडवों ने उनका अंतिम संस्कार किया। इस दौरान उनका दिल आग से धधकता रहा। पांडवों ने इसे जल में प्रवाहित कर दिया। तब ये लकड़ी के लठ्ठे के रूप में बदल गया। यही लठ्ठा राजा इंद्रदुयम्न को मिल गया। उनकी भगवान श्रीकृष्ण में बड़ी आस्था थी। वो उसे ले आए और मंदिर में स्थापित कर दिया। तब से ये मंदिर में ही मौजूद है, हर बारह साल बाद भगवान की मूर्ति बदली जाती है। मगर लठ्ठा वैसा ही रहता है।

 

इससे जुड़ी एक दिलचस्प कहानी भी है। जब मंदिर के पुजारी इस लठ्ठे को बदलते हैं तो उनकी आंखों पर पट्टियां बंधी रहती हैं और हाथ कपड़े से ढंके रहते हैं। ऐसे में पुजारी न तो इसे देख पाते हैं और न ही छू। ऐसा माना जाता है कि जो कोई इसे देख लेगा उसकी मौत हो जाएगी। इसके अलावा भी कई ऐसे रहस्य हैं, जो मंदिर को भक्तों के लिए बेहद खास बनाते हैं।

 

 

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