अफगानिस्तान का बैंकिंग सिस्टम कुछ ही महीनों के भीतर ध्वस्त हो जाएगा। युद्धग्रस्त मुल्क को नकदी की कमी और कर्ज में हो रही बढ़ोतरी का सामना करना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की एक नई रिपोर्ट में सोमवार को इसकी जानकारी दी गई है।
संयुक्त राष्ट्र की इस बॉडी ने अफगानिस्तान में तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करने की गुजारिश की है। यूएनडीपी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर बैंकिंग सिस्टम ध्वस्त हो जाता है तो इसकी आर्थिक लागत और सामाजिक परिणाम काफी भारी होने वाले हैं।
अफगान में नकदी की भारी कमी
काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही अफगान जनता को नकदी की भारी कमी से जूझना पड़ रहा है। तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगा दिए गए, जिसकी वजह से ये मुसीबत और बढ़ गई। प्रतिबंधों की वजह से अफगानिस्तान का विदेशों में जमा पैसा फ्रीज कर दिया गया और अधिकतर विदेशी सहायता को सस्पेंड हो गई।
नकदी की कमी की वजह से तालिबान सरकार को बैंक से पैसा निकालने की दर को सीमित करने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसके बाद से ही देश की मुसीबत बढ़ी हुई है। अफगानिस्तान अपनी जरूरतों के बड़े हिस्से के लिए विदेशी सहायता पर निर्भर है।
बैंकिंग सिस्टम का पतन देश में तेजी से घटती आर्थिक गतिविधि
अफगानिस्तान में यूएनडीपी के प्रमुख अब्दुल्ला अल दारदारी ने कहा बैंकिंग सिस्टम का पतन देश में तेजी से घटती आर्थिक गतिविधि को धीमा कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय सहायता प्रयासों को कमजोर कर सकता है।
बता दें कि यूएनडीपी रिपोर्ट में कहा गया कि देश में कुल बैंकिंग सिस्टम 2020 के आखिर तक 268 बिलियन अफगानी जमा था, जो सितंबर के अंत तक 194 बिलियन अफगानी (2 बिलियन अमेरिकी डॉलर) तक पहुंच गया। इस राशि में 2021 के आखिर तक 165 बिलियन अफगानी की और गिरावट होने की उम्मीद है, जो पिछले साल के मुकाबले जमा पैसे में 40 फीसदी की गिरावट होगी।
ये भी पढ़ें:-
शेयर बाजार में भारी गिरावट, तीन महीने के बाद सेंसेक्स 58,000 के स्तर से नीचे
कर्ज भी एक नई मुसीबत बनकर उभर रहा है। नॉनपरफॉर्मिंग लोन्स 2020 के आखिर में 30 फीसदी थे, जो सितंबर तक बढ़ते हुए 57 फीसदी पर आ गए हैं। मौजूदा संकट ने बैंकों को नए कर्ज देने से रोकने को मजबूर किया है। इस वजह से छोटी फर्मों के लिए स्थिति और खराब हो गई है।