लखनऊ: कोविड-काल में ऑनलाइन कक्षाएं वक्त की जरूरत बन चुकी हैं। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि इससे समय और पैसे की बचत के साथ-साथ सामाजिक दूरी भी कायम की जा सकती है। इन सब के साथ भौगोलिक दूरी को भी खत्म किया जा सकता है। यहां भौगोलिक दूरी की बात इसलिए की जा रही है क्योंकि ऑनलाइन क्लासेज में देश और विदेश में किसी भी कोने में बैठा छात्र या एक्सपर्ट एक दूसरे से जुड़ सकता है।
कोरोना काल में एजुकेशन सेक्टर ने कई बड़ी उपलब्धियां हांसिल की हैं। यह हमारा नहीं बल्कि लखनऊ विश्विद्यालय की स्टूडेंट वेलफेयर की डीन प्रोफेसर पूनम टंडन का कहना है। दरअसल, भारत खबर डॉट कॉम से पूनम टंडन की खास बातचीत में उन्होंने ऑनलाइन कक्षाएं के फायदों और इसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला है।
दुनिया के किसी भी कोने से अभ्यर्थी ले सकता है एक्सेस
प्रो. पूनम टंडन ने ऑनलाइन क्लासेज के फायदों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि दुनिया के किसी भी कोने से छात्र इसको अटेंड कर सकता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि टीचर के लिए भी क्लास लेना काफी आसान हो गया है। उन्होंने बताया कि कोविड काल में ये एक महत्वपूर्ण क़दमों में से एक है। कोरोना काल में छात्र और टीचर दोनों को ही यात्रा से बचाने के लिए ऑनलाइन क्लास ने बेहतरीन भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन क्लासेज ने अवकाश के प्रावधान को लगभग ख़त्म कर दिया है। ऑनलाइन के माध्यम से कोई भी छात्र कहीं भी क्लास को अटेंड कर सकता है और टीचर भी क्लास कहीं से ले सकते हैं।
ऑनलाइन क्लासेज में गेस्ट लेक्चर कराना भी हुआ आसान
प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि, ऑनलाइन क्लास में गेस्ट लेक्चर कराना काफी आसान है। किसी भी एक्सपर्ट को हम ऑनलाइन ऐड करके छात्रों को उससे रूबरू करवा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन गेस्ट लेक्चर रिकॉर्ड भी किया जा सकता है। इससे ये फायदा होता है कि अगर किसी भी छात्र को कुछ समझ नहीं आया तो वो रिकॉर्ड की हुई क्लिप को दोबारा देखकर और सुनकर समझ सकता है।
प्रोफेसर का कहना है कि जबसे ऑनलाइन कक्षाएं शुरू हुई हैं तबसे ग्लोबल एक्सपर्ट के लेक्चर से स्टूडेंट्स काफी प्रोत्साहित हुए हैं।
रिकॉर्डिंग की सुविधा से छात्रों को मिला फायदा
स्टूडेंट वेलफेयर की डीन ने बताया है कि ऑनलाइन क्लास को रिकॉर्ड कर छात्र दोबारा से क्लास के माहौल में पहुंच जाता है और क्लास के दौरान जो उसे समझ नहीं आता है उसे वे रिकॉर्डिंग की मदद से दोबारा समझ सकता है।
समय की भी होती है बचत
वहीं प्रोफेसर का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेज से समय की भी बचत हो रही है। उन्होंने उदहारण के तौर पर बताया कि छात्र दूर से ट्रेवल कर क्लास लेने आता है और टीचर भी दूर दराज़ से क्लास लेने आते हैं, वहीं ऑनलाइन क्लास में यात्रा का समय बचता है। उन्होंने बताया कि वायवा के लिए गेस्ट दूर से आते हैं, एक घंटे के वायवा के लिए चार दिन का समय देना पड़ता है, अगर कोई एक्सपर्ट किसी दूसरे रीजन या क्षेत्र से आता है तो उसका खर्चा भी लग जाता है लेकिन ऑनलाइन वायवा और क्लास ने इन चीज़ों से बचाया है। एक लिंक के माध्यम और इन्टरनेट से छात्र और टीचर बिना समय व्यर्थ किए मिनटों में जुड़ जाते हैं।
ऑनलाइन वेबिनार से सभी मिला फायदा
डीन पूनम टंडन के मुताबिक, पहले इंटरनेशनल कांफ्रेंस कराना बहुत लंबा प्रोसेस होता था लेकिन जबसे ऑनलाइन वेबिनार्स की शुरुआत हुई तबसे ये प्रोसेस छोटा हो गया और छात्रों को क्वालिटी कंटेंट मिलना शुरू हो गया। उन्होंने बताया है कि इंटरनेशनल कांफ्रेंस साल भर का प्रोसेस होता था जिसमें समय के साथ-साथ फंडिंग की भी समस्या आती थी। हालांकि, वेबिनार्स में ये सब समस्याएं लगभग खत्म हो गई हैं। वेबिनर में विवि प्रशासन को गेस्ट और टॉपिक पर ही काम करना होता है। इससे छात्रों को क्वालिटी बेस कंटेंट ज्यादा मिलता है।
यूनिवर्सिटी के पास है खुद का लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम
ऑनलाइन क्लासेज की उपलब्धियों पर बात करते हुए प्रोफेसर पूनम टंडन ने बताया कि, कोरोना काल के दौरान लखनऊ यूनिवर्सिटी ने खुद का लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम तैयार किया है। इसका नाम SLATE (Strategic Learning Application for Transformative Education) है। उन्होंने बताया कि जुलाई 2020 की शुरुआत में इसको यूनिवर्सिटी द्वारा लॉन्च किया गया था। इसके फायदे पर भी उन्होंने प्रकाश डाला और कहा कि, दूसरे ऑनलाइन प्लेटफार्म की लिमिटेशन होती है लेकिन स्लेट हमारा खुद के सिस्टम पर आधारित है और सीमाओं से परे हैं। स्लेट पर 200 से 400 क्लास एक साथ हैंडल हो सकती हैं। स्लेट पर लेक्चर रिकॉर्ड किए जा सकते हैं। स्टूडेंट की अटेंडेंस अपने आप पता चल जाती है। टीचर का शेड्यूल स्लेट पर प्रकाशित हो जाता है।
सबके लिए ओपन है SLATE
प्रोफेसर पूनम टंडन ने बताया है कि स्लेट मैनेजमेंट सिस्टम सभी कॉलेज के लिए ओपन कर दिया है। उन्होंने बताया है कि एक नार्मल से भुक्तान से कोई भी कॉलेज स्लेट को एक्सेस कर सकता है। उन्होंने कहा है कि ऑनलाइन एजुकेशन के क्षेत्र में लखनऊ यूनिवर्सिटी का एक बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा है कि हमारे द्वारा लॉन्च किए गए इस प्लेटफार्म का फायदा कोई भी यूनिवर्सिटी/कॉलेज नार्मल सा चार्ज देकर उठा सकता है। उन्होंने बताया है कि इस तरह का प्लेटफार्म विदेशों के विश्वविद्यालों के पास है। हालांकि भारत में लखनऊ विवि ने इसकी शुरुआत की है।