मेरठ। ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक दृष्टिकोण से अमावस्या बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। पुराणो के अनुसार इस दिन का का पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए विशेष महत्व होता है। क्योंकि हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि यह दिन तपर्ण, स्नान, दान आदि के बहुत पुण्य और फलदायी है। इस वर्ष 18 सितंबर से शुरू हुए अधिक मास यानि पुरुषोत्तम मास का 16 अक्टूबर को समापन होने जा रहा है। वहीं ठीक इससे अगले दिन 17 अक्टूबर को नवरात्र शुरू हो जाएंगे।
विद्धानों के अनुसार इस अमावस्या को पितृ की तिथि माना जाता है। इस दिन किए गए उपाय विशेष फलदायी होते हैं। इतना ही नहीं यदि कोई व्यक्ति रोग, कष्ट आदि से परेशान है तो उसे इस दिन महामृत्युंजय जप और अनुष्ठान कर कष्टों से निजात प्राप्त कर सकता है। अमावस्या धार्मिक दृष्टि से जितनी फलदाया होती है उतनी ही कष्टदायी हो होती है। अमावस्या के दिन ऐसे कार्य करने से बचना चाहिए जो हमारे जीवन में नकरात्मक प्रभाव डालें। अमावस्या के रात को किसी भी व्यक्ति को सूनसान जगह पर नहीं जाना जाहिए। क्योंकि इस दिन नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं। सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए। इतना ही नहीं इस दिन विवाद और झगड़े से बचना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से पितरों की कृपा नहीं रहती है। आज के दिन मांस-मदिरा का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। गरुण पुराण में बताया गया है कि अमावस्या के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए। क्योंकि ऐसा करने पर पैदा होने वाली संतान जीवन में कभी भी सुखी नहीं रहती है।
अधिकमास में आने वाली अमावस्या को कई परेशानियों और दुखों के निवारण का दिन माना जाता है। इस दिन चीटियों का खास महत्व होता है। उन्हें मीठा आटा खिलाया जाने पर सारे पाप खत्म हो जाते हैं। यह तिथि कालसर्प दोष से पीड़ित जातक की मुक्ति के उपाय के लिए असरदार मानी जाती है।