मुंबई। आदर्श सोसायटी घोटाला मामले में फंसे कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण पर बंबई हाईकोर्ट ने मुकदमा चलाने की गवर्नर की मंजूरी को रद्द कर दिया है। चव्हाण ने इस मामले में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव द्वारा सीबीआई को उन पर मुकदमा चलाए जाने के आदेश देने को लेकर कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। महाराष्ट्र के राज्यपाल ने पिछले साल फरवरी अशोक चव्हाण पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों के साथ ही आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी सें संबंधित आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी।
राज्यपाल की इस अमुमनि पर कांग्रेस नेता ने आपत्ति जताते हुए बंबई हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी। आपको बता दें कि 31 मंजिल आदर्श सोसयाटी रक्षा विभाग की जमीन पर बनी हुई है। नौसेना ने इतनी ऊंची इमारत से उसके कई प्रतिष्ठानों को संभावित सुरक्षा खतरे को लेकर आपत्ति जताई थी। इस सोसायटी में पूर्व नौसेना अध्यक्ष एडमिरल माधवेंद्र सिंह को भी एक फ्लैट मिल था और रिपोर्ट में उनका भी नाम शामिल है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया था कि वो घोटाले में शामिल नहीं थे, क्योंकि वो इस सोसायटी के सदस्या बनने के पात्र नहीं थे।
उन्होंने गलत अंडरटेकिंग दिया कि उनका मुंबई में कोई घर नहीं है, जबकि जो भी सैन्य अधिकारी इस घोटाले में दोषी पाए गए हैं उन सबको इस सोसायटी में फ्लैट मिले हैं। गौरतलब है कि आदर्श हाउसिंग सोसायटी के अपार्टमेंट कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों के लिए थे, लेकिन नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते हुए इन फ्लैटों को सैन्य अफसरों, राजनेताओं और नौकरशाहों में आवंटित कर दिया गया था। ये घोटाला साल 2010 में सामने आया था, जिसके बाद महाराष्ट्र में सियासी तूफान खड़ा हो गया था। इसके चलते पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।