नई दिल्ली। ए पी जे अब्दुल कलाम को जनता का राष्ट्रपति और देश का मिसाइल मैन कहा जाता है। अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के धनुषकोडी गांव में हुआ था। अब्दुल कलाम बहुत ही गरीब परिवार में रहते थे। उनके पिता न तो ज्यादा पढ़े लिखे थे और न ही ज्यादा पैसे वाले थे। उनके पिता मछुआरों को नाव किराए पर देते थे। अब्दुल कलाम संयुक्त परिवार में रहते थे। परिवार की संख्या का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यह पांच भाई और पांच बहने थी और एक घर में तीन परिवार रहते थे। अब्दुल कलाम के जीवन पर उनके पिता का काफी गहरा प्रभाव रहा। अब्दुल कलाम के पिता भले ही ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन उनकी लगन और उनके संस्कार अब्दुल कलाम के बहुत काम आए।
बता दें कि ए पी जे अब्दुस कलाम ने अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए अखबार बेचने का काम शुरू कर दिया था। कलाम ने 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजी से अंतरिक्ष विझान की शिशा ग्रहण की और वहां से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिए भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान में प्रवेश किया।
वहीं 1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आये जहाँ उन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका निभाई। परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी 3 के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे जुलाई 1982 में रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था।
वैज्ञानिक जीवन
अब्दुल कलाम 1962 में भारतीय अंतरिक्ष संगठन से जुड़े अब्दुल कलाम को परियोजना महानिदेशक के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ। 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें दिया जाता है। कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया। इन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे। उन्होंने रणनीतिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया।
वहीं इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार परमाणु परीक्षण भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की। कलाम ने भारत के विकासस्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की। यह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। 1982 में वे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये और उन्होंने अपना सारा ध्यान “गाइडेड मिसाइल” के विकास पर केन्द्रित किया। अग्नि मिसाइल और पृथवी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय काफी कुछ उन्हीं को है। जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।