नई दिल्ली। लाभ के पद के मामले में अयोग्या घोषित किए गए आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों में से आठ द्वारा दाखिल की गई याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिका की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आम आदमी पार्टी के ये विधायक लाभ के पद पर रहे हैं इन लोगों ने लाभ लिया या नहीं ये महत्वपूर्ण नहीं है। कोर्ट ने ये प्रतिक्रिया विधायकों की उस दलील पर दी जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें संसदीय सचिव बनाया गया, लेकिन उन्होने पद पर बने रहते हुए किसी भी तरह का कोई लाभ नहीं लिया है। इसलिए ये लाभ का पद नहीं है। वहीं मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी।
मामले की सुनवाई कर रहे दिल्ली हाई कोर्ट के जज संजीव खन्ना और जस्टिस चंद्ररशेखर के समक्ष विधायकों के वकील मोहन परासरन ने कहा कि जिन विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया था उनकी नियुक्ति हाई कोर्ट पहले ही रद्द कर चुका है और विधायकों को इसके अलावा कोई लाभ नहीं दिया गया है। इस बाबत चुनाव आयोग को 9 मई 2016 को जानकारी दी गई थी, लेकिन उस जवाब की व्याख्या सही तरीके से नहीं की गई। विधायकों की ओर से कहा गया कि संसदीय सचिव केवल एक पद था और उन्हें किसी तरह का कोई अधिकार भी नहीं दिया गया था।