नई दिल्ली। चुनाव आयोग द्वारा लाभ का पद मामले में अयोग्य घोषित किए गए आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के विधायकों को आयोग्य मानने से इनकार करते हुए चुनाव आयोग को मामले की शुरू से जांच करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट का कहना है कि इस मामले में पार्टी के विधायकों को अपना पक्ष रखने का पूरा समय नहीं मिला इसलिए चुनाव आयोग को इस मामले की जांच दोबारा करनी चाहिए। हाईकोर्ट के फैसले के बाद पार्टी के विधायकों में खुशी लहर साफ देखी जा रही है। इसी कड़ी में चांदनी चौक से विधायक अलका लांबा ने कहा कि ये जीत दिल्ली के लोगों की जीत है क्योंकि कोई भी दिल्ली में दोबारा चुनाव नहीं देखना चाहता।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को गिराने की साजिश नाकाम हो गई है। अलका लांबा ने कहा कि हम विधायक बने रहेंगें। इसी के साथ उन्होंने चुनाव आयोग के तीनों आयुक्तों के इस्तीफे की मांग की। वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि सत्य की जीत हुई है क्योंकि हमारे विधायकों को गलत तरीके से बर्खास्त किया गया था। उन्होंने कहा कि ये दिल्ली के लोगों की जीत है। दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को मामले की दोबारा जांच करने के आदेश दिए है और राष्ट्रपति को सौंपे गए सिफारिश पत्र को वापस मंगाने का आदेश दिया है। आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के खिलाफ लाभ के पद का आरोप लगाया गया था।
दिल्ली के विधायकों ने इस फैसले के खिलाफ 20 जनवरी को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसमें सिफारिशों को स्वीकार किया गया था। आयोग विधायकों की उस याचिका पर अपना जवाब दे रहा था जिसमें दिल्ली विधानसभा से उन्हें अयोग्य ठहराने के फैसले को खारिज करने का अनुरोध किया गया था। इससे पहले उच्च न्यायालय ने 24 जनवरी को केन्द्र की विधायकों को अयोग्य ठहराने की अधिसूचना पर रोक से इंकार किया था, लेकिन ईसी को उपचुनाव के लिए तारीखें घोषित करने जैसा कोई कदम उठाने से रोका था। इसके बाद अदालत ने 30 जनवरी को ईसी को सीटें भरने के लिए उपचुनाव की घोषणा जैसे अंतरिम आदेश को सात फरवरी तक बढाया था।