नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येन्द्र जैन जहां एक ओर अपने पूर्व सहयोगी कपिल मिश्र के आरोपों को झेल रहे हैं और केजरीवाल को दो करोड़ रुपये नकद देने के मामले में सफाई देने से बच रहे हैं। वहीं अब उनके सामने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का एक और नोटिस आया है। इससे पहले भी आयकर विभाग ने सत्येन्द्र जैन को उनकी कंपनी के लिए नोटिस भेजा था लेकिन इस बार सत्येंद्र जैन को आरोपी बनाते हुए इनकम टैक्स विभाग ने पिछले साल 26 दिसंबर को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
आईटी विभाग ने जैन पर आरोप लगाया है कि उनके तीन-तीन हवाला कारोबारी से संपर्क थे और उसके जरिये अपने करोड़ों की रकम को ब्लैक से व्हाईट किया। यानि उन्होंने अवैध धन (कालाधन) सफेद किया था।
बता दें कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के बड़े मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ इनकम टैक्स की जांच में सामने आया है कि कुछ समय पहले जब सत्येंद्र जैन को उनकी कंपनियों के लिए नोटिस भेजा गया था तो सत्येंद्र जैन का कहना था कि उन कंपनियों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। आईटी ने जब आगे की जांच की तो पता चला कि सत्येंद्र जैन के कथित तौर पर कोलकाता के तीन हवाला कारोबारियों से संबंध रहे हैं। उन हवाला कारोबारियों के नाम हैं भी आयकर विभाग ने पता लगा लिया है। विभाग के अनुसार ये नाम जीवेंद्र मिश्र, अभिषेक चोखानी और राजेंद्र बंसल हैं।
इन तीनों हवाला कारोबारियों ने आयकर विभाग के सामने कबूल किया है कि उन्होंने कमीशन लेकर सत्येंद्र जैन के करोड़ों रुपये नकद को अपनी 56 फर्जी कंपनियों के जरिये चेक जारी करके सत्येंद्र जैन की चार कंपनियों में भेजा।
सत्येंद्र जैन की चार कंपनियां – इंडो मेटलइंपेक्स प्राईवेट लिमिटेड को 7.14 करोड़, अकिंचन डेवलपर्स को 4.86 करोड़, परयास इंफोसोल्यूशंस को 2.49 करोड़ और मंगलायतन प्रोजेक्टस को 1.90 करोड़ रुपये के चेक दिए गए।
आयकर विभाग की जांच में सत्येंद्र जैन पर सबसे पहला आरोप यह है कि उन्होंने अपने काले धन को सफेद करने का अवैध तरीका अपनाया।
दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन ने तीन हवाला डीलर के जरिये करोड़ों रुपये को काले से सफेद किया। जैन ने ये सब तब भी जारी रखा जब वो दिल्ली में आप सरकार में पहली बार विधायक बने और फिर अरविंद केजरीवाल के मंत्री भी बने तब भी। सरकारी या कहें संवैधानिक पद पर रहते हुए भी मनी लॉन्डरिंग में शामिल होने की वजह से अब सत्येंद्र जैन के मामले में सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है।
सत्येंद्र जैन पर दूसरा आरोप है कि उन्होंने दिल्ली की अनियमित कॉलोनियों के पास किसानों की जमीनें खरीदीं। अब आरोप लग रहे हैं कि किसानों को गुमराह किया गया कि जमीनें अधिकृत होने वाली है इसलिए किसानों ने बाजार भाव में सत्येंद्र जैन की कंपनी को ये जमीनें बेच दी। सत्येंद्र जैन की कंपनी ने आयकर विभाग के सामने स्वीकार किया है कि ये जमीनें इसलिए खरीदी गई क्योंकि सरकार उन इलाकों को नियमित करने वाली है और उसके बाद इन जमीनों की कीमत आसमान छूने लगेगी। विभाग को सत्येंद्र जैन की कंपनी के जवाब देने के छह महीने बाद दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने उन इलाकों को नियमित किया। यानि जो आरोप सत्येंद्र जैन पर लगे वह सच साबित हुए।
यह भी साबित होता दिख रहा है कि सत्येंद्र जैन ने अपने पद का दुरुपयोग किया और कैबिनेट की जानकारी का फायदा उठाया।
सत्येंद्र जैन पर तीसरा आरोप है कि उनकी कंपनियों ने जब किसानों की 200 बीघा से अधिक की जमीनें खरीदी तब उन जमीनों की खरीद में उस इलाके के सर्किल रेट से भी कम कीमत दिखाई गई है। इस तरह सत्येंद्र जैन ने स्टांप ड्युटी के भुगतान में भी चोरी की। सत्येंद्र जैन अपनी कंपनियों से खुद को अलग बताते रहे हैं लेकिन इन कंपनियों के नाम से जो किसानों की जमीनें खरीदी गई है उसमें रजिस्ट्री के पेपर पर इनकी फोटो लगी है। इस बात पर वह कुछ भी जवाब नहीं दे रहे हैं।