आम आदमी पार्टी में इन दिनों बेहद ही खलबली मची हुई है। आए दिन आम आदमी पार्टी को आए दिन करारे झटकों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में आम आदमी पार्टी को चुनाव आयोग की तरफ एक बार फिर से बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट यानि लाभ के पद के मामले में आम आदमी पार्टी की दलीलों को खारिज कर दिया है। चुनाव आयोग ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों ने केस रद्द करने की मांग की थी। विधायकों का कहना है कि हाईकोर्ट द्वारा विधायकों की नियुक्ति को अवैध मानते हुए रद्द कर दिया गया था जिसके बाद विधायकों का कहना था कि युनाव आयोग में केस चलाने का कोई भी आधार नहीं है। जानकारी है कि इस मामले में चुनाव आयोग अगस्त में अपना फैसला सुना सकता है।
चुनाव आयोग द्वारा याचिका को खारिज करने के बाद विधायकों की विधानसभा सदस्यता पर फिर से खतरा मंडराने लग गया है। बता दें कि जरनैल सिंह पहले से ही अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं। जनरैल सिंह रजौरी गार्डन से विधायक रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने पंजाब विधानसभा से चुनाव लड़ने के अपने पद से भी इस्तीफा दे दिया है। वही इस बारे में आम आदमी पार्टी का कहना है कि चुनाव आदेश के का गलत मतलब नहीं निकालना चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा इस विषय पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए लेकिन चुनाव आयोग ने संबंधित मामले में कार्रवाई करने का फैसला लिया है।
आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया है कि उनके पास चुनवा आयोग को चुनौती देने के लिए काफी सारे उपाय हैं और वह हाईकोर्ट के साथ साथ चुनाव आयोग के फैसले का सम्मान करते हैं। आपको बता दें कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग पर आम आदमी पार्टी के 27 विधायकों पर केस दर्ज किया गया था। यह पूरा मामला साल 2015 का है। जब केजरीवाल ने अपने विधायकों को संसदीय सचिव का कार्यभाल सौंपा था। जिसके बाद एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा इसकी शिकायत राष्ट्रपति को दर्ज कराई गई थी। अपनी शिकायत ने सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा था कि जिन विधायकों को केजरीवाल ने संसदीय सचिव बनाए गए हैं वह लाभ के पद पर तैनात हैं।