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लद्दाख में मौजूद एक ऐसा रहस्यमय मठ जहां हर रोज होती है चीन के विनाश की पूजा..

lamauru muth 1 लद्दाख में मौजूद एक ऐसा रहस्यमय मठ जहां हर रोज होती है चीन के विनाश की पूजा..

कुछ महीनों से भारत और चीन की सीमा पर मौजूद लद्दाख का नाम खूब खबरों में छाया हुआ है। लद्दाख वैसे तोदुनियाभर में अपनी खूबसरती के लिए जाना जाता है। लेकिन इन दिनों लद्दाख चीन और भारत के बीच हुई खूनी झड़प के लिए सुर्खियों में छाया हुआ है। इस बीच लोग लद्दाख और उससे जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों के बारे में जानने के लिए इतिहास को खंगाल रहे हैं।एक ऐसा ही रहस्य लद्दाख में मौजूद एक मठ को लेकर सामने आया है। जिसने सबको चौंका दिया है। क्या वाकई में किसी बौद्ध मठ में चीन के खात्मे के लिए पूजा होती है।

lamuru muth 2 लद्दाख में मौजूद एक ऐसा रहस्यमय मठ जहां हर रोज होती है चीन के विनाश की पूजा..

चलिए आपको बताते हैं इस खास और खूबसूरत मठ के बारे में जो दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
लामायुरू उर्फ युरू मठ प्राचीन तिब्बती बौद्ध मठों में से एक है जो भारत के जम्मू और कश्मीर के लेह जिले के लामायुरो में स्थित है। लामायुरू मठ का दूसरा नाम युंगद्रंग थारपालिंग मठ है। और अगर किंवदंती पर विश्वास किया जाए तो लेह के पश्चिम में लगभग 127 किमी दूर एक बड़ी झील है जो शाक्यमुनि बुद्ध के समय से ही वहाँ है। कहा जाता है कि यह झील कई नागों का भी घर है।

लेह से 60 किमी की दूरी पर स्थित लामायुरु गोम्पा को मूनलैंड या चंद्रभूमि भी कहा जाता है। ये नाम, इस जगह के पथरीले इलाके की वजह से दिया गया है। क्योंकि इस इलाके के पथरीले काउंटर्स चांद की धरती की तरह ही दिखते हैं। लामायुरु आपकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत और अलौकिक मठों में से एक है। लामायुरु अपने आप में एक खूबसूरत एहसास है।

अगस्त हर्मन फ्रेंके नाम के एक प्रसिद्ध बाइबिल विद्वान ने लोकप्रिय परंपरा के संदर्भ में, कहा है कि लामायुरु मठ लद्दाख में एक प्राचीन बॉन मठ था।इस नाम का अर्थ है “स्वस्तिक“ यानि की अनंतकाल और यह बॉन में एक प्रसिद्ध प्रतीक है। दिकुंग के इतिहास के अनुसार, यह पहले एक घाटी थी जिसे लामायुरू मठ बनाने के लिए नरोपा नाम के एक लोकप्रिय भारतीय विद्वान द्वारा भरा और सुखाया गया था।

लामायुरु मठ, दरीकुंग कागयू स्कूल ऑफ बुद्धिज्म से जुड़ा है ये लद्दाख के सबसे पुराने और सबसे बड़े मठ में से एक है। इस मठ का इतिहास 11वीं सदी से शुरू होता है जब बौद्ध भिक्षु अरहत मध्यनतीका ने लामायुरु में मठ की नींव रखी थी, कहा जाता है कि इस जगह पहले एक झील हुआ करती थी। इसके बाद पास की गुफा से महिद्ध नरोपा यहां साधना करने आए और झील सूख गई, इसके बाद यहां लामायुरु मठ की स्थापना हुई।

ल्यटोकपो उन पर्यटकों और यात्रियों के लिए पश्चिमी बेस कैंप के रूप में काफी लोकप्रिय है, जो लद्दाख जाने वाले होते हैं। यह जगह उन लोगों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है जो यात्रा करना पसंद करते हैं। लामायुरू मठ की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय जुलाई और अगस्त के बीच है, क्योंकि यही वह समय है जब युरू कबीगट होता है। इसके अलावा, यह दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए भी एक अच्छा समय है।

लामायुरू मठ से क्यों डरता है चीन?
मठ को लेकर एक बात कही जाती है कि, चीन के खात्म को लेकर यहां पर 7 वीं शताब्दी से हर रोज पूजा होती है। क्योंकि ये इलाका तिब्बत से लगा हुआ है। और तिब्बत पर हमेशा से ही चीन की नजर रही है। जिसकी वजह से चीन यहां रह रहे लोगों के काफी परेशान करता है। क्योंकि भारत हमेशा से ही तिब्बत का समर्थन करता आया है। इसलिए चीन की आंखों में भारत चुभता है।इसलिए इस मठ में चीन के खात्मे को लेकर हर रोज प्रार्थना होती है। और कहा तो यहां तक जाता है कि, चीन को मठ से शाप मिला हुआ है।

https://www.bharatkhabar.com/abhinav-kashyap-shares-a-post-about-salman-khans-being-human/

इन बातों मे कितनी सच्चाई है भारत खबर इसके बारे में स्पष्ट नहीं है लेकिन लामायुरू मठ को लेकर जो सदियों से बात कही जाती है वो ही बात हम आपको अपनी खबर के द्वारा पहुंचा रहे हैं।

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