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एक दम्पति ने अनाथालय से नवजात बच्ची को गौद लेकर किया सराहनीय कार्य, कोरोना काल में छोड़ दी थी लावारिस

8ddde611 f265 40a1 87de 5cf6130b43e5 एक दम्पति ने अनाथालय से नवजात बच्ची को गौद लेकर किया सराहनीय कार्य, कोरोना काल में छोड़ दी थी लावारिस

बहरोड़ से संदीप कुमार शर्मा की रिपोर्ट

 

बहरोड़। अलवर जिले के नीमराना तहसील में बिचपुरी गाॅव निवासी एक दम्पति ने अनाथालय से एक बालिका को गोद लेकर उसे घर की लक्ष्मी बनाया है। जहाॅ आजकल लोग बालिकाओं को लावारिस छोड़ने और कन्या भ्रुण हत्या जैसे संगीन अपराधों को कर रहे है ऐसे में नीमराना के दम्पति ने कोरोना काल में लावारिस छोड़ी गई एक बच्ची को गोद लिया। जिसका गांव में धूमधाम से स्वागत किया गया। बेटी को पाकर पूरा परिवार और गांव में खुशी का माहौल बना हुआ है और लोग दंपत्ति के इस कार्य को सराहना कर रहे है। विद्युतकर्मी सतीश यादव व उनकी पत्नी सुरेश देवी ने बताया कि एक ओर जहां पूरा विश्व कोरोना जैसे वैश्विक महामारी से जूझ रहा है तो वही दूसरी ओर जोधपुर में एक निर्दयी माँ ने बच्ची को जन्म देकर छोड़ दिया था। जिसके बाद उसका पांच माह से लालन पालन नवजीवन लव कुश संस्थान द्वारा किया जा रहा था। जिसे दम्पति ने सामाजिक परिवरिश का जिम्मा लेते हुए गोद लेकर पालन पोषण का जिम्मा लिया है।

गोद ली बेटी का नामकरण कर रखा चारुल नाम-

आपको बता दें कि दुनिया में बहुत से बच्चे इतने खुशकिस्मत नहीं होते कि उन्हें पैदा होते ही पलकों पर बैठा लेने वाले माता-पिता का प्यार नसीब हो। अनाथालय ही इन बच्चों के नसीब होते हैं। लेकिन बहुत से लोग भी इतने खुशकिस्मत नहीं होते कि उन्हें औलाद का सुख मिल सके और इसलिए अनाथ और जरूरतमंद लोग एक दूसरे के लिए उम्मीद की किरण होते हैं। ऐसा ही उदाहरण पेश किया है नीमराना के बिचपुरी गाॅव निवासी लाइनमैन सतीश यादव व उनकी पत्नी सुरेश देवी ने। लाइनमैन सतीश यादव व उनकी पत्नी ने कोरोना वायरस के दौरान जोधपुर में अनाथालय से बच्ची को गोद लेकर समाज में एक नई मिशाल कायम की है। विद्युतकर्मी ने जोधपुर के चैपासनी हाउसिंग बोर्ड में स्थित नवजीवन लव कुश अनाथालय से दत्तक ग्रहण अभिकरण के तहत पांच माह की बच्ची को गोद लिया है। संस्थान के प्रभारी राजेन्द्र परिहार ने सतीश यादव व उनकी पत्नी को 18 नवम्बर को संस्थान की बच्ची शिप्रा को दत्तक ग्रहण करवाया। बेटी को गोद लेकर वापस लौटे दम्पति का घर आगमन पर ग्रामीणों में एक अलग खुशी का माहौल देखने को मिला। परिजनों ने बच्ची व उसके नए माता पिता का तिलक लगाकर व पूजा अर्चना कर स्वागत किया तथा बेटी शिप्रा का नामकरण करते हुए उसे नया नाम चारुल दिया।

बेटी होना एक अभिशाप नहीं बल्कि वरदान-

वहीं दम्पति का कहना है कि जिस तरह से आज हमारे समाज में बेटी के जन्म को एक अभिशाप के रूप में देखा जाता है तो वही दूसरी ओर अनेक दम्पति अपनी पहली संतान के रूप में बेटी का मुह देखना पसंद करते है। ऐसे में एक तरफ जहाँ अनाथ बच्ची को माता पिता का साया मिला है तो वही दूसरी ओर सामाजिक रूप से बेटियों के प्रति गिरते हुए मूल्यों को भी मजबूती मिल सकेगी। बिचपुरी निवासी सतीश यादव नीमराना ईपीआईपी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित पावर हाउस में पेशे से विद्युत टेक्नीशियन लाइनमैन के पद पर कार्यरत है तो वही उनकी पत्नी सुरेश देवी घर में रहकर ग्रहणी का दायित्व निभा रही है। दम्पति की कोई संतान नही थी। ऐसे में उन्होंने भाई, बहनों व रिश्तेदारों की संतान को गोद लेने की बजाय अनाथ आश्रम में पल बढ़ रही शिप्रा (चारुल) को गोद लेकर उसे समाज में एक नया नाम व पहचान देने का साहसिक निर्णय लिया।

ग्रामीणों ने की तारीफ-

अनाथ आश्रम से गोद लेकर आई बच्ची चारुल के नए परिजनों सतीश यादव व सुरेश देवी का घर आने पर गांव के बड़े बुजुर्गों व गणमान्य लोगों ने बेटी गोद लेने व उसे पालने पोसने के साथ ही माता पिता का धर्म निभाने की प्रेरणा की सराहना की। सतीश यादव व उनकी पत्नी सुरेश देवी ने बताया कि उनके अपनी कोई संतान तो नही है, लेकिन उन्होंने घर परिवार व रिस्तेदारों के बच्चों को गोद लेने की बजाय लावारिस छोड़ी गई बच्ची को अपनी बेटी के रूप में अपनाने का निश्चय किया। क्योंकि आज के युग में निर्दयी माता पिता की ओर से बेटे की चाह में कोख में पल रहे भूर्ण की हत्या करवा दी जाती है या फिर उसे जन्म के बाद लावारिस छोड़ दिया जाता है। ऐसे में लावारिस या अनाथ बेटियों को माता पिता का नाम देकर समाज को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश देना जरूरी है। उन्होंने अपना निश्चय दोहराते हुए कहा कि वह दम्पति गोद ली बेटी के साथ माता पिता धर्म निभाएंगे तथा उसे पाल पोसकर एक दिन बढ़िया अधिकारी बनायेगे।

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