नई दिल्ली: कातिल कोरोना लाखों जिंदगिंया लील गया है। देश में अब तक 3 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। हजारों बच्चे अनाथ है। किसी के सिर पिता साया तो किसी के सिर से माता का साया उठ गया है। तो कोई बच्चा अपने माता-पिता दोनों को खो चुका है। इस बीच एनसीपीसीआर ने मंगलावर को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि देश में 29 मई तक राज्यों की ओर से दिए गए डाटा के मुताबिक 9 हजार 346 ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने माता-पिता दोनों को खो दिया और बेसहारा हो गए। या फिर अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है।
जस्टिस एलएन राव और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ के समक्ष पेश एक अलग नोट में महाराष्ट्र सरकार कहा कि 30 मई तक राज्य के विभिन्न इलाकों से मिली जानकारी के अनुसार 4,451 बच्चों ने अपने माता-पिता में से एक को खो दिया है
यूपी में सबसे ज्यादा बच्चे हुए बेसहारा
एनसीपीसीआर ने वकील स्वरूपमा चतुर्वेदी के जरिए दायर हलफनामे में कहा कि ऐसे सबसे ज्यादा यूपी में ऐसे बच्चे हैं जो बेसहारा हुए हैं। स्वरूपमा ने बताया कि यूपी में 2110 बच्चे हैं। इसके साथ ही बिहार में 1327, केरल में 952 और मध्य प्रदेश में 712 बच्चे कोरोना महामारी के कारण अनाथ हो गए या फिर माता-पिता में से किसी एक को खो दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 7 तक का दिया वक्त
देश की सबसे बड़ी अदालत ने राज्य सरकारों से कहा कि वे सात जून तक एनसीपीसीआर की वेबसाइट ‘बाल स्वराज’ पर डेटा अपलोड करें और कोरोना वायरस संक्रमण के कारण प्रभावित हुए बच्चों से जुड़ा विवरण उपलब्ध कराएं। सुप्रीम कोर्ट बाल गृहों में कोविड फैलने पर स्वत: संज्ञान लेने से जुड़े एक मामले में सुनवाई कर रहा है।
एनसीपीसीआर ने अपने हलफनामे में कहा कि कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी और बड़ी संख्या में लोगों की मौत होने के मद्देनजर यह जरूरी हो गया है कि बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए अतिरिक्त प्रयास किए जाएं। उसने कहा कि इस दिशा में पहला कदम जरूरतमंद बच्चों की पहचान करना और ऐसे बच्चों का पता लगाने के लिए व्यवस्था विकसित करना है। आयोग ने कहा कि उसने ‘बाल स्वराज’ पोर्टल तैयार किया है जिसके जरिए ऐसे बच्चों का डेटा एकत्र किया जा रहा है।