लखनऊ: कोरोना जांच करवाने के बाद लोगों को अपनी सही जानकारी देनी होती है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में यह प्रक्रिया आधी अधूरी ही होने के सबूत मिल रहे हैं। पिछले 20 दिनों में 8000 से अधिक ऐसे मरीज मिले हैं, जिनकी जानकारी सही नहीं दी गई थी। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग अब उन्हें कांटेक्ट नहीं कर पा रहा है।
सामने आए 8000 से अधिक लापता मामले
1 मई से 20 मई के बीच में कई लोगों की टेस्टिंग हुई, जिनमें से 8876 लोगों की जानकारी सही नहीं थी। इनका ब्यौरा गलत या आधा अधूरा दर्ज करवाया गया था। जांच करवाने वाले ऐसे सभी लोगों को भविष्य में कांटेक्ट करने में दिक्कत आ रही है। अब इस मामले में पत्र लिख कर जवाब मांगा जा रहा है।
केजीएमयू और लोहिया में सबसे ज्यादा गलत मामले
घर जानकारी दर्ज करवाने का मामला केजीएमयू, एसजीपीजीआई और लोहिया संस्थान में सामने आया। जहां सबसे ज्यादा लोहिया में 4049 लोगों ने गलत जानकारी साझा की। इसके अलावा केजीएमयू में 3749 लोग और एसजीपीजीआई में 1078 लोगों ने जांच करवाने के बाद अपनी सही जानकारी नहीं दी। दरअसल जब कोई व्यक्ति कोरोना जांच करवाने जाता है तो उस से जुड़ी कई जानकारी दर्ज की जाती है। जिससे भविष्य में उसकी रिपोर्ट के आधार पर कांटेक्ट किया जा सके, लेकिन कुछ लोगों ने यह जानकारी गलत साझा की। ऐसे में अब प्रशासन के लिए बड़ी दिक्कत सामने आ गई है।
विभाग ने मांगी रिपोर्ट
इतना ही नहीं इस जांच में यह भी पता चला कि कई लैब टेस्टिंग के दौरान एक ही व्यक्ति से अलग-अलग आईडी मांग रहे हैं। इससे संक्रमित मरीजों की संख्या में भी अपने आप बढ़ोतरी हो जा रही है। जबकि वास्तविक संख्या कम रहती है। इसी मामले में अब स्वास्थ्य महानिदेशक ने सभी संस्थानों को सही जानकारी देने की बात कही और चेतावनी देते हुए ऐसी गलतियों से बचने के लिए कहा। जांच के दौरान गलत जानकारी देने वाले लोग कोरोना के प्रसार का बड़ा कारण बन सकते हैं। ऐसे में 8000 से अधिक लोगों को ढूंढना स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती है।