अगरतला। मिजोरम की आठ जनजातीय लड़कियों को उस वक्त मुक्त कराया लिया गया, जब उन्हें तस्करी के लिए एक कार से गुजरात ले जाया जा रहा था। पुलिस ने रविवार को कहा कि इस सिलसिले में दो जनजातीय पुरुषों को भी गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस इंस्पेक्टर रतनमणि देबबर्मा ने संवाददाताओं को बताया, “उन्हें शनिवार रात उस वक्त मुक्त करा लिया गया, जब उन्हें तस्करी के लिए एक लघु वाहन से गुवाहाटी से गुजरात ले जाया जा रहा था।”
उन्होंने कहा, “पूछताछ के दौरान लड़कियों ने अपनी यात्रा के संबंध में अलग-अलग बयान दिए। उनमें से सात लड़कियां कंचनपुर (उत्तर त्रिपुरा में) शरणार्थी शिविरों में रहने वालों की साथी हैं, जहां मिजोरम के जनजातीय लोग रहते हैं। एक अन्य नाबालिग लड़की मिजोरम की है और नौवीं कक्षा की छात्रा है।”
देबबर्मा ने कहा कि पुलिस अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए शरणार्थी नेताओं को फोन किया, जिन्होंने कहा कि उन्हें लड़कियों के इस सफर के बारे में नहीं मालूम है।
पुलिस अधिकारी ने कहा, “उनके माता-पिता ने कहा कि वे यहां बहुत तंगहाली में हैं। वे अपनी बेटियों को ब्यूटी पार्लर में नौकरी करने के लिए गुजरात भेज रहे थे। हालांकि माता-पिता सही जानकारी नहीं दे सके। हम मामले की जांच कर रहे हैं।”
मुक्त कराई गईं लड़कियों की उम्र 15 और 25 साल के बीच है, जबकि हिरासत में लिए गए दोनों पुरुषों की उम्र 35-40 के बीच है।
मिजोरम से लगते कंचनपुर इलाके में पिछले 19 वर्षो से सात अस्थायी शरणार्थी शिविरों में करीब 31,300 रियांग जनजातीय लोग रह रहे हैं, जो स्वयं को ‘ब्रू’ कहते हैं।
(आईएएनएस)