अल्मोड़ा। भारत में डायरिया के चलते मरने वाले बच्चों की संख्या हो रहे तेजी से इजाफा को देखते हुए प्रशासन ने कमर कसनी शुरू कर दी है और वैक्सीन पिलाने से लेकर अन्य सुविधओं को दिलाने की भरपूर कोशिशें जारी हैं। इसी क्रम में रोटा वायरस टीकाकरण रोटा वायरस दस्त के रोकथाम का अत्यधिक प्रभावी एवं एकमात्र सटीक उपाय है। यह वैक्सीन लाइव वैक्सीन है। वैक्सीन की खुराक पांच बूंदों की है जो बच्चों को नियमित टीकाकरण समय सारणी के अनुसार अन्य टीकों के साथ जन्म के 6, 10 व 14 वे सप्ताह में दी जाती है। रोटा वायरस वैक्सीन को भारत सरकार द्वारा उत्तराखंड में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में सम्मिलित किये जाने हेतु स्वास्थ्य विभाग के तत्वाधान में महिला चिकित्सालय अल्मोड़ा में रोटा वायरस वैक्सीन का शुभारंभ आज डीएम नितिन सिंह भदौरिया ने रोटा वैक्सीन की पांच बूंद पिलाकर किया।
उन्होंने बताया कि यह वैक्सीन रोटा वायरस के कारण होने वाले गंभीर दस्त से सुरक्षा प्रदान करेगी। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी, डॉ. एके सिंह ने बताया कि रोटा वायरस एक अत्यधिक संक्रमक वायरस है जो बच्चों में दस्त का सबसे बड़ा कारण है। रोटा वायरस संक्रमण की शुरूआत हल्के दस्त से होती है जो आगे जाकर गंभीर रूप ले सकता है। उन्होंने बताया कि भारत में जितने बच्चे दस्त के कारण अस्पताल में भर्ती होते है, उनमें से 40 प्रतिशत बच्चे रोटा वायरस संक्रमण से ग्रसित होते है।
यही कारण है कि भारत में प्रतिवर्ष लगभग 32.7 लाख बच्चे डयरिया से ग्रसित होकर अस्पताल में दिखाने आते है। जिनमें से 78 हजार बच्चों की मृत्यु हो जाती है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. विनीता शाह ने बताया कि रोटा वायरस दस्त का खतरा पूरे विश्व में सभी बच्चों को होता है। कूपोषित बच्चों में यदि इलाज तुरंत एवं पर्याप्त रूप से न कराए जाए तो दस्त गंभीर रूप ले सकता है, जिससे बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि रोटावायरस एक बच्चे से दूसरे बच्चे में दूषित पानी, दूषित खाने एवं दूषित हाथों के संपर्क में आने से फैलता है।