देहरादून। वन मंत्री डॉ. हरक सिहं रावत ने जानकारी देते हुए कहा है कि जायका, कैंपा, राज्य के बजट और केंद्र से प्राप्त होने वाली राशि से वनों का विकास किया जाएगा। वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत का कहना है कि राज्य में वनों की सुरक्षा और वन प्रबंधन पर सालाना करीब 700 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। वन मंत्री ने बताया की ‘हरित विकास प्रबंधन को नई पहल’ परियोजना के प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय ने अनुमोदन कर लिया है और ये परियोजना 965 करोड़ रुपए की है जिसके लिए विश्व बैंक ने 675 करोड़ रुपए का ऋण देने में सहमति जताई है।
मीडिया से मुखातिब होते हुए रावत ने कहा कि जल्द ही विश्व बैंक के ऋण की पहली किस्त तीन-चार महीने में जारी हो जाएगी। इस परियोजना के अंतगर्त वनों में लगने वाली आग का प्रबंधन करने के लिए 140 करोड़ रुपए, पंचायती एंव आरक्षित वनों में पौधारोपण के लिए 170 करोड़ रुपए, धारा आदि जैसी चीजों से जल संरक्षण के लिए 140 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है। इसके साथ ही वनीय इलाकों में जापानी तकनीक से लैंडस्लाइड रोकने के लिए 30 करोड़ रुपए, वनों के वैज्ञानिक और सामुदायिक प्रबंधन के लिए 70 करोड़ रुपए और प्रशासनिक व्यय सलाहकारों की सेवाओं और आकस्मिक मदों के लिए 75 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है। वन मंत्रीा ने कहा कि राज्य में मानव-वन्यजीवन संघर्ष एक बड़ा मुद्दा है जिसके लिए 140 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है और इको टूरिज्म विकास के लिए भी 120 करोड़ रुपए का प्रावधान सुनिश्चित किया गया है।
वन मंत्री डॉ. रावत ने कहा कि इस परियोजना के तहत चार साल के लिए राशि मिलेगी जिसमें से पहले चरण में आधी राशि मिलेगी और पहले चार साल में यह राशि खर्च होने के बाद बाकी के चार सालों के लिए शेष राशि प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि मानव-वन्यजीव संघर्ष पर अंकुश लगाकर पलायन को रोका जाएगा।
इसके साथ ही उत्तरकाशी जिले के चाइशील बुग्याल को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए पर्यटन विभाग की तरफ से ट्रैक ऑफ द ईयर घोषित हुआ है जिसमें 10 जून से 6 जुलाई तक ट्रैकिंग आयोजित की जाएगी। आपको बता दें कि यह ट्रैक अधिकांश वनीय इलाकों में है।