आज किसानों के आंदोलन का 35वां दिन है. पिछले 34 दिनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं और केंद्र के कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. वहीं आज सरकार और किसान संगठनों के बीच एक बार फिर से बातचीत होगी. आज सरकार और किसानों के बीच में छठे दौर की बातचीत होगी है. किसानों ने सरकार को एक पत्र लिखा था जिसके जवाब में सरकार ने किसानों को आमंत्रित किया और किसानों ने आमंत्रण को स्वीकार कर लिया. लेकिन किसानों का साफ-साफ कहना है कि वो अपने पहले एजेंडे पर ही बात करेंगे.
केंद्र के साथ बुधवार को बातचीत से पहले नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के गेटों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों ने सरकार को पत्र लिखकर कहा कि ये चर्चा केवल कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने के तौर-तरीकों सहित चार सूत्री एजेंडे पर हो सकती है.
कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव संजय अग्रवाल को लिखे पत्र में 40 किसान यूनियनों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में संशोधन और बिजली संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे को वापस लेने की प्रक्रिया के रूप में एजेंडे में दो अन्य मद्दों को सूचीबद्ध किया है.
औपचारिक रूप से बातचीत के लिए सरकार के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए मोर्चा ने कहा, प्रासंगिक मुद्दों का तर्कसंगत समाधान निकालने के लिए इस एजेंडे के अनुसार हमारी चर्चा कराना जरूरी है. किसानों ने कहा कि सरकार द्वारा आमंत्रित सभी 40 नेता वार्ता के लिए जाएंगे, लेकिन केवल पांच नेता ही किसानों की राय सामने रखेंगे.
अमित शाह ने कर ली है रणनीति तैयार!
सरकार बुधवार को होने वाली बातचीत में एमएसपी पर नया फार्मूला पेश करेगी. गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों से बात करने वाले तीनों केंद्रीय मंत्रियों के साथ सोमवार को वार्ता की रणनीति तैयार की है. सरकार की रणनीति तैयार करने के लिए सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के बीच मैराथन बैठक हुई. मंगलवार को भी वार्ता की तैयारी के संदर्भ में इसी तरह की उच्च स्तरीय बैठक हुई.