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बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथिः ऐसा रहा उनका जीवन क्रम

Ambedkar बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथिः ऐसा रहा उनका जीवन क्रम

भारत के संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की आज 60वीं पुण्यतिथि है। बाबा साहब का योगदान देश सदैव याद करता रहेगा। भारत का लिखित कानून पूरे दुनिया में प्रसिद्ध है। उन्हें बाबा साहब के नाम से जाना जाता है जिसका मराठी भाषा में अर्थ होता है ‘पिता’। आइए जानते हैं बाबा साहेब के अंबेडकर के जीवन के बारे मंे कैसे एक साधारण परिवार का होनहार बालक बना संविधान निर्माता-

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  • शुरुआती शिक्षा में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, पढ़ाई में वो श्ुारु से ही तीव्र बुद्धि वाले थे, बाद में कोलंबिया विश्वविद्यालय मे जाकर अध्ययन के लिये अम्बेडकर का चयन किया गया साथ ही इसके लिये एक 11.5 डॉलर प्रति मास की छात्रवृत्ति भी प्रदान की।
  • बाबा सहेब का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के जिला इंदौर के महू गांव के एक गरीब परिवार में हुआ था। एक अछूत परिवार में जन्म लेने के कारण उन्हें सारा जीवन नारकीय कष्टों में बिताना पड़ा।
  • बाबा साहेब को अपने जीवन के शुरुआती दिनों में छुआ छूत का भयंकर तरीके से सामना करना पड़ा। माजरा ऐसा था कि बचपन में पढ़ाई के दौरान उन्हें कक्षा मंे बैठने तक नहीं दिया जाता था, छुआछूत के चलते वो अगर किसी वस्तु का स्पर्श तक कर लेते तो उसे उंची जाति वाले लोग छूते तक नहीं थे।
  • उन्होंने 64 विषयों में मास्टरी की जोकि 2011 के आंकडों के मुताबिक विश्व के इतिहास में सबसे ज्यादा है।
  • अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय ने बाबसाहेब को विश्व के शीर्ष 100 विद्वानों में शीर्ष स्थान दिया है। बाबा साहेब को विश्व के महान अर्थशास्त्रियों में से एक रहे हैं।
  • दलितों के उद्धार के लिए बाब साहेब को सदैव याद किया जाता रहेगा, सन 1929 में डॉ॰ अम्बेडकर ने छुआछूत के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने सार्वजनिक आंदोलनों और जुलूसों के द्वारा, पेयजल के सार्वजनिक संसाधन समाज के सभी लोगों के लिये खुलवाने के साथ ही उन्होनें अछूतों को भी हिंदू मंदिरों में प्रवेश करने का अधिकार दिलाने के लिये भी संघर्ष किया। उन्होंने में उन्होंने 1932 में दलितों के अधिकार के लिए पूना संधि पर हस्ताक्षर किए।
  • 13 अक्टूबर को नासिक के निकट येओला मे एक सम्मेलन में बोलते हुए अम्बेडकर ने धर्म परिवर्तन करने की अपनी इच्छा प्रकट की। उन्होने अपने अनुयायियों से भी हिंदू धर्म छोड़ कोई और धर्म अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने अपनी इस बात को भारत भर मे कई सार्वजनिक सभाओं मे दोहराया भी।
  • भारत के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से उन्हें 1990 में सम्मानित भी किया। 15 अगस्त 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार अस्तित्व मे आई तो उसने अम्बेडकर को देश का पहले कानून मंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। 29 अगस्त 1947 को, अम्बेडकर को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया।
  • मधुमेह से लंबे समय तक परेशान रहने के बाद 6 दिसंबर 1956 को बाब साहेब का निधन हो गया, उन्हें साक्षी रखकर उनके अंतिम संस्कार के दिन 7 दिसंबर को करीब 10 लाख से अधिक उनके अनुयायिओं ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली।

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