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20 की बजाय 60 फीसदी तबादले कुंठित मानसिकता का प्रतीक: हरिकिशोर तिवारी

Er. Harikishor Tiwari 20 की बजाय 60 फीसदी तबादले कुंठित मानसिकता का प्रतीक: हरिकिशोर तिवारी

लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने स्वास्थ विभाग में स्थानारण नीति के नियमों को दरकिनार कर स्वास्थ विभाग में लिपिक संवर्ग के बीस के सापेक्ष 60 प्रतिशत लिपिक संवर्ग के तबादलों को कुण्ठाग्रस्त मानसिकता का प्रतीक बताया है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में स्वास्थ्य विभाग के प्रशासन और तत्कालीन सीडीओं इटावा राजागणपति आर की कर्मचारी विरोधी मानसिकता के कारण ही इटावा में इनके विरूद्व एक सप्ताह तक व्यापक प्रदर्शन हुआ और इस मामले में मण्डलायुक्त कानपुर राजशेखर के हस्तक्षेप के बाद मामला शान्त हुआ था।

उन्होंने कहा कि तबादले में खुले भ्रष्टाचार और मनमानी प्रतीत हो रही है ऐसे में इस तबादला सूची को निरस्त किया जाए।चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक को निलंबित कर उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। उन्होने बताया कि इस सम्बंध में उनकी मुख्य सचिव से वार्ता हुई है और उनके द्वारा कई तथ्यों से मुख्य सचिव को अवगत भी कराया गया है।

हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि जो तबादला सूची सामने आई है वह स्थानांतरण नीति को नियम विरुद्ध व कर्मचारियों का मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक शोषण का प्रतीक है। यूपी मेडिकल एंड पब्लिक हेल्थ मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के बैनर तले मनमाने तबादले के विरूद्व आन्दोलन जारी है। यह आन्दोलन हड़ताल का रूप भी ले सकता है।

संगठन के लोगों का कहना है कि प्रदेश में लिपिक संवर्ग के 2817 लोग है इसमें से 1772 लोगों का स्थानांतरण और समायोजन कर दिया गया। जो तबादले के लिए निर्धारित की गई अधिकतम 20 प्रतिशत से बढ़कर 60.95 प्रतिशत है। यही नही हिटलरी रवैया अपनाते हुए प्रशासक द्वारा  250 महिला कर्मचारियों का स्थानांतरण 300 से लेकर 1000 किलोमीटर दूर कर दिया गया है।

यह सीधे सीधे निदेशक द्वारा योगी सरकार की छवि को धूमिल करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि लिपिक संवर्ग के कार्य बहिष्कार के चलते जिला एवं महिला अस्पताल के अलावा सीएमओ कार्यालय का काम धाम प्रभावित हो रहा है। अब इसका असर जिलेवासियों पर भी पड़ने लगा है।

सबसे ज्यादा दिक्कत मेडिकल और आयु प्रमाण पत्र बनवाने वालों को हो रही है। दूर दराज से आने वाले लोग आन्दोलन के चलते लौटने को मजबूर हैं। भविष्य में इसका असर चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ सकता है।

उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक को निलंबित कर उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, शासन की नीति के विपरीत अनियमित एवं मनमानी कर किए गए तबादलों को निरस्त किया जाए।

डीए आदेश जारी करे सरकार

परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि बढती महंगाई और सीज किए गए भत्तों के कारण कर्मचारियों को आर्थिक हानि उठानी पड़ी है। इसे देखते हुए केन्द्रीय कर्मचारियो को 01 जुलाई, 2021 से 11 प्रतिशत महंगाई भत्ते के आदेश जारी  हो चुके हैं लेकिन यूपी में इसका आदेश जारी नहीं किया गया। यदि 25 जुलाई तक आदेश जारी नहीं हुआ तो जुलाई माह के वेतन के साथ इसका भुगतान किया जाना संभव नहीं हो पाएगा।

ऐसे में राज्य कर्मचारियों, पेंशनधारकों को 18 माह से लंबित मंहगाई भत्ते, मंहगाई राहत का भुगतान जुलाई माह में ही कर दिया जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि महंगाई भत्ते, महंगाई राहत का आदेश तत्काल करने हेतु संबंधित अधिकारियो को निर्देशित करें ताकि समय से इसका भुगतान सुनिश्चित हो सके।

उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा कोविड-19 के कारण जनवरी, 2020, जुलाई, 2020 तथा जनवरी, 2021 को कर्मचारियो को देय मंहगाई भत्ते की किश्त को फ्रीज कर दिया था और केन्द्रीय कर्मचारियो की भांति ही जुलाई, 2019 से आज तक राज्य कर्मचारियो को भी 17 प्रतिशत मंहगाई भत्ता ही मिल रहा है। इस किश्त के जुडने के बाद मंहगाई भत्ता बढकर 28 प्रतिशत हो जाएगा।

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