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भारत-पाक युद्ध के 50 साल पूरे, पीएम मोदी ने ‘स्‍वर्णिम विजय मशालें’ प्रज्‍ज्वलित कर देश के विभिन्न हिस्सों में किया रवाना

70b988f0 63bb 4183 84e1 bf4711156e02 भारत-पाक युद्ध के 50 साल पूरे, पीएम मोदी ने 'स्‍वर्णिम विजय मशालें' प्रज्‍ज्वलित कर देश के विभिन्न हिस्सों में किया रवाना

नई दिल्ली। आज का दिन भारतीय इतिहास के लिए बड़े गौरव का दिन है। आज भारत-पाकिस्तान के युद्ध को पूरे 50 साल हो चुके हैं। जिसके चलते आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 साल पूरा होने के अवसर पर बुधवार को राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक की अमर ज्योति से ‘‘स्‍वर्णिम विजय मशालें’’ प्रज्‍ज्वलित कर उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में रवाना किया। जो एक साल की अवधि में पूरे देश के छावनी क्षेत्रों का भ्रमण कर अगले साल नई दिल्ली में ही पूरी होगी। विजय दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में मोदी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) विपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर 1971 के युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

पाकिस्तान से चली 13 दिन लड़ाई के बाद की थी फतह हासिल-

बता दें कि मोदी ने राष्‍ट्रीय समर स्‍मारक पर लगातार जलती रहने वाली ज्‍योति से चार विजय मशाल प्रज्‍ज्वलित कीं और उन्‍हें 1971 के युद्ध के परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेताओं के गांवों सहित देश के विभिन्‍न भागों के लिए रवाना किया। इन विजेताओं के गांवों के अलावा 1971 के युद्ध स्‍थलों की मिट्टी को नई दिल्‍ली के राष्‍ट्रीय युद्ध स्‍मारक में लाया जाएगा। भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में हुआ युद्ध कई मायनों में खास था। इस युद्ध ने पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांट दिया और बांग्लादेश नाम के एक नए देश का जन्म हुआ। पाकिस्तान को भारत के सामने सरेंडर करना पड़ा और भारतीय सेना ने अपे अप्रतीम साहस और शौर्य का दुनिया के सामने लोहा मनावाया। 1971 में पाकिस्तान के साथ चली 13 दिन की लड़ाई के बाद आज के दिन भारतीय सेना ने फतह हासिल की थी। इस जंग में करीब 3843 भारतीय सैनिकों ने अपने प्राण न्योछावर किए। इस युद्ध की जीत का ही परिणाम था कि पाकिस्तान के करीब 90 हजार सैनिकों ने सरेंडर किया और फिर दुनिया ने इतिहास बनते देखा।

इन शहरों से होते हुए दिल्ली पहुंचेगी यात्रा-

इक वन कोर ने 16 दिसंबर 1971 को देश की पश्चिमी सीमा पर बसंतर नदी के किनारे खुले मोर्चे पर पाक सेना को अमेरिका से मिले पैटन टैंकों का कब्रिस्तान बना दिया था। इसीलिए भारतीय सेना की यह आक्रामक कोर 16 दिसम्बर को ‘विजय दिवस’ के अलावा निजी तौर पर ‘बसंतर दिवस’ के रूप में भी मनाती है। इसके साथ ही बता दें कि यात्रा’ दिल्ली से चलकर मथुरा होते हुए भरतपुर, अलवर, हिसार, जयपुर, कोटा, आदि सैन्य छावनी क्षेत्रों और उनके दायरे में आने वाले शहरों का भ्रमण करती हुई वापस दिल्ली पहुंचेगी। यात्रा की अवधि एक साल की होगी। यात्रा बांग्लादेश की राजधानी ढाका भी जाएगी।

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