उत्तराखंड में बुधवार को भगवान बद्रीनाथ का छत्र बदला गया है। रत्नजडित सोने का छत्र पंजाब के व्यापारी सूद परिवार ने चढ़ाया। इसके पहले ग्वालियर राजघराने ने छत्र चढ़ाया था। 4 किलोग्राम सोने का से छत्र लुधियाना निवासी ज्ञानेश्वर सूद ने अपने परिवार और निकट सम्बन्धियों के साथ चढ़ाया, इस दौरान तक़रीबन 300 लोग सुबह 5 बजे मौजूद रहे।
भीषण बारिश के चलते छत्र बदलने के कार्यक्रम में थोड़ा बदलाव किया गया। बारिश थमने पर सूद परिवार ने शाम पांच बजे भगवान बद्रीनाथ को छत्र अर्पित किया। बताया जाता है कि ज्ञानसेन सूद के परिवार के पूर्वज दादा गुरु महर्षि मुक्तजी ने 1918 में पहली बार बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर आए थे। इसकी शताब्दी वर्ष पूरा होने के मौके पर इस परिवार ने छत्र अर्पित किया है।
इस मौके पर ज्ञानेश्वर सूद ने कहा, ‘100 जन्मों के पून्यों के बाद बद्री विशाल का दर्शन मिलता है, और मैं समझता हूं कि हमने पता नहीं कौन से पून्य किए होंने कि बद्री विशाल ने पहले तो अब तक 23 बार बुलाया और आगे भी असंख्य बार बुलाएंगे हमें। लेकिन छत्र की प्रेरणा उन्होंने मन में ड़ाली।’
ज्ञानेश्वर सूद के साथ आए एक श्रद्धालू ने कहा, ‘आज ज्ञानेश्वर सूद जी परिवार लुधियाना, कुछ दिन पूर्व इन्होंने लगभग 7 अप्रैल को इस छत्र की पूजा की थी लुधियाना में हम भी साक्षी थे और मंदिर समिति ने इसकी अनुमति दी थी। छत्र बहुत पुराना हो गया था और कई जगह से चेढ़ा हो गया था।’ उन्होंने आगे कहा, ‘लाखों लाखों में भगवान चुनते हैं इनको चुना, और इनको चुनने के बाद छत्र लगभग चार किलो सोने का है इसपर कई प्रकार के माणिक हैं मोती हैं। पन्ना है, ओम लिखा हुआ है तो कई सुंदर नकाशी काफी बारिकी से हमने देखी हुई है।’
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एक और श्रद्धालू ने इस पर बात करते हुए कहा, ‘आज वो शुभ दिन आया। हमारे धर्माधिकारी जी ने इस शुभ दिन का निदारण दिया, कि 9 मई का शुभ दिना धर्माधिकारी जी ने निकाला। औऱ उन्हीं के अनुसार ज्ञानेश्वर जी अपने माता-पिता, भाई-बहन के साथ लुधियाना से आए। लगभग 4 किलो का स्वर्ण जड़ित छत्र है, हीरे जवाराहत भी लगे हुए हैं। और भगवान बद्री विशाल को उन्होंने अर्पित किया। ‘