चेन्नई। तमिलनाडु में एक सरकारी अस्पताल में बीते 24 घंटों के दौरान चार बच्चों की मौत पर विपक्ष ने शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की ‘निष्ठुरता’ पर निशाना साधते हुए राज्य सरकार से इसकी जिम्मेदारी लेने की मांग की। यहां इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रन में शुक्रवार से लेकर अब तक रहस्यमय बुखार से आठ से 11 साल आयुवर्ग के चार बच्चों की मौत हो चुकी है। विपक्ष के नेता एम.के.स्टालिन ने प्रदेश की राजधानी में एक बयान जारी करते हुए चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की निष्ठुरता पर कोई कार्रवाई न करने के लिए तमिलनाडु सरकार की निंदा की।
उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत से लोगों के बीच डर बैठ गया है। एक परिवार ने तो एक ही दिन में अपने दो बच्चों को खो दिया।स्टालिन ने कहा कि उन्होंने रहस्यमय बुखार व डेंगू जैसी अन्य बीमारियों से कई बार सरकार को अवगत कराया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।उन्होंने कहा कि चेन्नई नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग को कम से नींद से तो जागना चाहिए। पीएमके संस्थापक एस.रामदॉस ने कहा कि चेन्नई, कांचीपुरम तथा तिरूवल्लूर जिलों में बच्चे लगातार डेंगू से मर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अस्पताल में चिकित्सक बुखार के कारणों पता नहीं लगा पाते, जिसके कारण उनका सही इलाज नहीं हो पाता। उन्होंने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि डेंगू को रोकने के लिए कोई कार्रवाई करने के बजाय राज्य के स्वास्थ्य मंत्री व स्वास्थ्य सचिव क्यों अपोलो अस्पताल में डेरा डाले हुए हैं, जहां जयललिता भर्ती हैं। इस बीच, शहर के निवासियों ने शिकायत की है कि मेन सीवेज लाइन हमेशा अवरुद्ध रहता है जो सड़क पर ही नहीं, बल्कि लोगों के घरों के परिसरों में भी बहता है, जिससे स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है। एक निवासी एन.वरदराजन ने कहा, “यह भी पता नहीं है कि पंपिंग स्टेशन काम कर रहा है या नहीं। जब बारिश शुरू होती है, तो शहर नाले में तब्दील हो जाता है।