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ऑपरेशन ब्लू स्टार की 34वीं वर्षगांठ, जानिए इससे जुड़ी खास बातें

OPERATIOB BLUE STAR ऑपरेशन ब्लू स्टार की 34वीं वर्षगांठ, जानिए इससे जुड़ी खास बातें

आज ही के दिन 34  साल पहले भारतीय सेना खालिस्तान समर्थक आतंकियों की गिरफ्त से अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर को छुड़ाने में कामयाब हुई थी।  6 जून, 1984 को हुई सेना की इस कार्यवाही को ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ नाम दिया गया था। इस ऑपरेशन में मारे गए इस ऑपरेशन में जनरैल सिंह भिंडरवाले की भी मौत हो गई थी। बता दें कि भिंडरवाले ही वही शख्स था जिसकी अगुआई में सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान बनाए जाने की मांग की जा रही थी।

 

OPERATIOB BLUE STAR ऑपरेशन ब्लू स्टार की 34वीं वर्षगांठ, जानिए इससे जुड़ी खास बातें

 

बताया जाता है कि इस ऑपरेशन को अंजाम देने में 83 जवान शहीद हुए, जबकि 249 घायल हो गए थे। इसके अलावा 493 आतंकवादी या आम लोग मारे गए वहीं 86 घायल हुए और 1592 को गिरफ्तार किया गया।

 

कौन था जैनरल सिंह भिंडरवाले?

 

भिंडरवाले सिखों के लिए अलग देश की मांग करने वाले खालिस्तान समर्थकों का प्रमुख था। हालांकि कभी उसने कभी यह दावा नहीं किया कि उसने सिखों के लिए अलग देश बनाने की मांंग की है, लेकिन उसके बयानों में अलगाव समर्थन होता था। वह सिखों के धार्मिक समूह दमदमी टकसल का मुखिया था। बंटवारे के बाद से ही देश में सिखों के लिए अलग देश की मांग तेज होने लगी और इसी दौरान जब अकाली अलग देश की मांग कर रहा था। तभी एक सिख लड़का दमदमी टकसल में एक लड़का धर्म की पढ़ाई करने आया। उसकी धर्म के प्रति इतनी गंभीरता और कट्टर आस्था के कारण थोड़े ही समय में वह सबका चहेता बन गया। उसके बाद जब टकसाल के गुरु का निधन हुआ तो भिंडरावाला को टकसाल प्रमुख का दर्जा मिल गया। इसके बाद भिंडरावाला का प्रभाव बढ़ने लगा और देश विदेश में उसे समर्थन मिला।

 

खालिस्तान आंदोलन

आजादी के बाद ही देश में अलग देश बनाने की मांग तेज होने लगी थी। जिसका अंजाम यह हुआ कि देश में एक नई लड़ाई की शुरूआत हो गई। जिसका 6 जून, 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार के साथ अंत हो गया। ऐसा नहीं है कि यह मांग हमेशा के लिए खत्म हो गई। आज भी दुनियाभर में कई ऐसे संगठन हैं जो सिखोंं के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग करते हैं।

 

आंदोलन की शुरूआत

सिख, हिंदू और मुस्लिम सभी ने देश को आजाद कराने के लिए आजादी की लड़ाई में बराबर योगदान दिया था, लेकिन आजादी के बाद ही मुसलमानों ने अलग राज्य की मांग की और पाकिस्तान का निर्माण हो गया। इसके बाद सिखों में भी यह इच्छा तेजी से उठने लगी कि सिखों का भी अपना अलग देश होना चाहिए। 1966 में अकाली दल की मांग का मानते हुए देश में पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की स्थापनी की गई। 1980 के दशक में खालिस्तान आंदोलन ने जोर पकड़ा। अकाली दल के कमजोर पड़ने और ‘दमदमी टकसाल’ के जरनैल सिंह भिंडरावाला की लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही यह आंदोलन हिंसक होता गया।

 

ऑपरेशन ब्लू स्टार

 

1983 में पंजाब पुलिस के डीआईजी एएस अटवाल की हत्या हो गई। इससे तनाव बढ़ गया और उसी साल जालंधर के पास बंदूकधारियों ने पंजाब रोडवेज की बस में चुन-चुनकर हिंदुओं की हत्‍या कर दी। इसके बाद विमान हाईजैक हुए। स्थिति काबू से बाहर हो गई और केंद्र सरकार ने राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन लगा दिया। अब तक स्‍वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बना चुका भिंडरावाला सरकार के निशाने पर आ चुका था और स्‍वर्ण मंदिर को चरमपंथियों के कब्‍जे से मुक्‍त कराने के लिए ऑपरेशन ब्‍लू स्‍टार की योजना बनाई गई।

ऑपरेशन ब्लू स्टार के पांच महीने बाद 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उन्हीं के सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद देशभर में बड़े पैमाने पर सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे।

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