उत्तराखंड। देशभक्ति का जज्बा हर एक नागरिक के अंदर होता है। लेकिन उस जज्बे को भारत माता के लिए दिखाने का अवसर किसी-किसी को ही मिलता है। भारत माता की रक्षा करने के लिए प्रत्येक जवान हमेशा आगे बढ़कर सीमा पर तैनात दिखाई देता है। इसी बीच आज भारतीय सैन्य अकादमी में शनिवार को पासिंग आउट परेड का आयोजन किया गया। शनिवार की सुबह 8 बजकर 45 मिनट पर मार्कर्स कॉल के साथ परेड का आगाज हुआ। भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए ) में अंतिम पग भरते ही 325 नौजवान भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। इसके साथ ही 70 विदेशी कैडेट भी पास आउट हुए। ‘भारत माता तेरी कसम तेरे रक्षक बनेंगे हम’, आईएमए गीत पर कदमताल करते जेंटलमैन कैडेट ड्रिल स्क्वायर पर पहुंचे। जिसके बाद लोगों ने खड़े होकर उनका स्वागत किया।
उप सेना प्रमुख ले. जनरल एसके सैनी ने परेड की सलामी ली-
बता दें कि सुबह 08 बजकर 45 मिनट पर मार्कर्स कॉल के साथ परेड का आगाज हुआ। उप सेना प्रमुख ले. जनरल एसके सैनी ने परेड की सलामी ली। कंपनी सार्जेट मेजर अभिनव कुटलेरिया, सोनू शर्मा, नागवेंद्र सिंह रंधावा, अक्षत कौशल, नदीम अहमद वानी व रोहित शर्मा ने ड्रिल स्क्वायर पर जगह ली। एडवांस कॉल के साथ जेंटलमैन कैडेट परेड के लिए पहुंचे। इसके बाद परेड कमांडर माजी गिरिधर ने ड्रिल स्क्वायर पर जगह ली। कैडेट्स की शानदार मार्चपास्ट से हर एक दर्शक मंत्रमुग्ध हो गया। उप सेना प्रमुख ने कैडेटों को ओवरऑल बेस्ट परफॉर्मेंस व अन्य उत्कृष्ट सम्मान से नवाजा गया। वतनदीप सिद्धू को स्वार्ड ऑफ ऑनर, माजी गिरिधर को स्वर्ण, निदेश सिंह यादव को रजत व शिखर थापा को कांस्य पदक मिला। जसमिंदर पाल सिंह सिद्धू ने सिल्वर मेडल हासिल किया। तंदिन दोरजी सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट चुने गए। चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ बैनर कैसिनो कंपनी को मिला। इस दौरान आईएमए कमान्डेंट ले. जनरल हरिंदर सिंह, डिप्टी कमान्डेंट मेजर जनरल जगजीत सिंह मंगत समेत कई सैन्य अधिकारी मौजूद रहे।
शारीरिक दूरी के नियमों का पूरा पालन किया गया-
इसके साथ ही युवा सैन्य अधिकारी अंतिम पग भर रहे थे तो आसमान से हेलीकाप्टरों के जरिए उन पर पुष्प वर्षा हो रही थी। सभी नौजवानों को भारतीय सेना में शामिल होने पर सलामी दी गई। इसी बीच कोरोना संकट के चलते पासिंग आउट परेड में तमाम स्तर पर एहतियात बरती गई। शारीरिक दूरी के नियमों का पूरा पालन किया गया। हरेक मार्चिंग दस्ते में एक लाइन में कैडेटों की संख्या आठ रखी गई। जेंटलमैन कैडेटों के साथ ही सभी सैन्य अधिकारी भी मास्क पहने रहे।