गुरूग्राम। गुरूग्राम के चर्चित मानेसर मारूति फैक्ट्री हिंसा मामले में अदालत ने 31 लोगों को दोषी करार दिया है। वहीं केस से जुड़े 117 लोगों को अदालत ने बरी कर दिया है। शुक्रवार को गुरूगाम के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल ने 18 जुलाई 2012 में मानेसर में हुए हिंसा केस में फैसला सुनाया। इस बहुचर्चित केस में अदालत के फैसला सुनाए जाने को देखते हुए सुबह से ही शहर में एक तरह से तनाव जैसा माहौल देखा जा रहा था।
क्षेत्र में लागू थी धारा 144:-
पुलिस ने अदालत परिसर के आसपास कड़े के सुरक्षा प्रबंध किए थे। यही नहीं मानेसर स्थित मारूति फैक्ट्री के आसपास धारा-144 लागू कर कर दी गई थी। इसके साथ ही 6 सबसे अहम स्थानों पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट तैनात किए गए थे ताकि किसी अप्रिय घटना को होने से रोका जा सके।
जानिए क्या था पूरा विवाद?
18 जुलाई 2012 को सुबह 10 बजे फैक्ट्री में काम करने वाले एक कर्मचारी और अधिकारी के बीच विवाद हुआ। इसके बाद 11 बजे प्रबंधन ने कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया गया। इससे नाराज होकर दोपहर 12 बजे श्रमिकों ने काम बंद कर दिया। फिर शाम 4 बजे प्रबंधन और श्रमिक नेताओं के बीच वार्ता शुरू हुई। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसी बीच कारखाने में हिंसा शुरू हो गयी।
श्रमिकों ने शाम 6 बजे फैक्ट्री में स्थित कई अधिकारियों को बंधक बनाकर पीटा और कई जगहों पर आग लगा दी। इस घटना के एक घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची तो थी लेकिन कर्मचारियों की संख्या देखकर वह कुछ नहीं कर सकी। जब तक मौके पर अन्य क्षेत्रों से पुलिस आती, वहां मौजूद कर्मचारियों द्वारा लगाई गई आग में कंपनी के जीएम एचआर अवनीश देव की मौत हो चुकी थी। इसके बाद पुलिस ने लगभग 100 कर्मचारियों को इस मामले में हिरासत में लिया जिन पर इतने सालों तक इन पर केस चला।